सहकारिता के अन्नदाता से हारी दैवीय आपदा
सहकारिता में ही शक्ति है.. किसानों ने यह कथन फिर सिद्ध कर दिखाया है। लॉकडाउन में ऋण अदायगी की छूट के बावजूद सहकारिता से जुड़े किसानों ने गत वर्ष से 38 करोड़ अधिक की ऋण अदायगी कर पिछले साल का रिकॉर्ड तोड़ दिया।
जेएनएन, शाहजहांपुर : सहकारिता में ही शक्ति है.. किसानों ने यह कथन फिर सिद्ध कर दिखाया है। लॉकडाउन में ऋण अदायगी की छूट के बावजूद सहकारिता से जुड़े किसानों ने गत वर्ष से 38 करोड़ अधिक की ऋण अदायगी कर पिछले साल का रिकॉर्ड तोड़ दिया। इससे जिला सहकारी बैंक का एनपीए (नॉन परफॉर्मिंग एसेट) 16 फीसद से घटकर आठ फीसद पर आ गया है। यही हाल उप्र सहकारी ग्राम्य विकास बैंक का रहा। यहां भी गत वर्ष के सापेक्ष नौ फीसद अधिक ऋण वसूली का रिकॉर्ड बना है।
कोरोना संक्रमण को देख सरकार ने ऋण अदायगी की छूट दी। वसूली के लिए भी बैंक दबाव नहीं बना रहे, लेकिन अन्नदाताओं ने 30 जून तक 290 करोड़ के सापेक्ष 152 करोड़ का ऋण अदा कर दिया, जबकि गत वर्ष मात्र 117 करोड़ की ही वसूली हुई थी।
गन्ना समितियों का योगदान बेहतर
जनपद में 115 पैक्स (प्राइमरी एग्रीकल्चर कोआपरेटिव सोसायटी) तथा चार सहकारी गन्ना समितिया हैं। पैक्स ने 149.16 करोड़ तथा गन्ना समितियों ने 235 करोड़ का पूरा भुगतान कर दिया। इससे डीसीबी का गत वर्ष की बकाया वसूली रिकार्ड सुधर गया। अन्नदाताओं ने इस बार ऋण अदायगी में रुचि दिखाई। नतीजतन 30 जून तक गत वर्ष के सापेक्ष अधिक ऋण वसूली हुई। बैंक का एनपीए 16 फीसद से घटकर आठ फीसद पर आ गया है। ग्राम्य विकास बैंक की रिकवरी भी गत वर्ष के सापेक्ष नौ फीसद बढ़ी है।
- डॉ. गणेश गुप्ता, सहायक उपायुक्त सहकारिता, शाहजहांपुर