शाहजहांपुर में पुल निरीक्षण को पहुंचे एक्सपर्ट बोले, जमीन में पिलर समाते कभी नहीं देखा

कोलाघाट पुल ढहने के कारणों की जांच शुरू हो गई है। इसमें सेतु निगम व लोक निर्माण विभाग के इंजीनियरों के साथ-साथ पुल बनाने वाली निजी कंपनी के एक्सपर्ट की भी मदद ली जा रही है। ताकि इतनी बड़ी घटना की असल वजह जानने के साथ ही इस तरह की पुनरावृत्ति को रोका जा सके

By JagranEdited By: Publish:Wed, 01 Dec 2021 11:15 PM (IST) Updated:Wed, 01 Dec 2021 11:15 PM (IST)
शाहजहांपुर में पुल निरीक्षण को पहुंचे एक्सपर्ट बोले, जमीन में पिलर समाते कभी नहीं देखा
शाहजहांपुर में पुल निरीक्षण को पहुंचे एक्सपर्ट बोले, जमीन में पिलर समाते कभी नहीं देखा

जेएनएन, शाहजहांपुर : कोलाघाट पुल ढहने के कारणों की जांच शुरू हो गई है। इसमें सेतु निगम व लोक निर्माण विभाग के इंजीनियरों के साथ-साथ पुल बनाने वाली निजी कंपनी के एक्सपर्ट की भी मदद ली जा रही है। ताकि इतनी बड़ी घटना की असल वजह जानने के साथ ही इस तरह की पुनरावृत्ति को रोका जा सके।

बुधवार को सेतु निगम के एमडी योगेश कुमार व लोक निर्माण विभाग के सेतु डिवीजन के चीफ इंजीनियर अशोक कुमार अग्रवाल विभागीय जांच टीम के साथ यहां पहुंचे। दोनों अधिकारियों ने मुंबई से आए पुल एक्सपर्ट विनय गुप्ता के साथ पुल के गिरे हुए हिस्से को देखा। करीब एक घंटे तक वहां का बारीकी से निरीक्षण किया। अपने अनुभव के आधार पर इसकी वजह तलाशने का प्रयास किया। काफी देर तक इसको लेकर आपस में उनकी चर्चा भी हुई। हालांकि प्रथम दृष्टया अधिकारी भी पुल के पिलर की सख्त सतह में आए परिवर्तन को ही इसकी मुख्य वजह मान रहे हैं। शासन ने दिए हैं जांच के निर्देश

पुल ढहने के मामले में शासन ने जांच के लिए लखनऊ से सेतु निगम की टीम गठित की है। इसके अलावा लोक निर्माण विभाग की टीम भी अपनी जांच कर रही है। दोपहर सेतु निगम के एमडी व लोक निर्माण विभाग में सेतु डिवीजन के चीफ इंजीनियर, अधीक्षण अभियंता आरसी गुप्ता के साथ लखनऊ से यहां पहुंचे। सोमवार को रामगंगा पर बना कोलाघाट पुल का सात नंबर पिलर अचानक धंसने के साथ जमीन में समा गया था। जिसके साथ पुल का दो सौ मीटर का टुकड़ा भी नीचे आ गया था। पुल के तीन हिस्सों में बंटने के बाद जलालाबाद व कलान तहसील का संपर्क टूट गया है। 40 मीटर से अधिक गहराई तक करेंगे खोदाई

पिलर क्यों धंसा इसके लिए क्षतिग्रस्त हिस्से के पास मिट्टी की जांच की जाएगी। इसके लिए 40 मीटर से अधिक गहराई तक बोरिग की जाएगी। हर डेढ़ फीट पर मिलने वाली परत पर मिट्टी की जांच होगी। उसके बाद ही पता चल सकेगा कि पिलर मिट्टी की परत में आए बदलाव के कारण धंसा या फिर कोई अन्य कारण रहा। तो अन्य पिलर के पास भी होगी जांच

अगर मिट्टी की परत में कोई कमी पाई जाती है तो पुल के अन्य पिलर के आसपास भी जांच होगी। ताकि यह जाना जा सके कि वहां पर भी तो कोई कमी तो नहीं है। पुल का जो हिस्सा नीचे गिरा है। उसे भी हटाया जाएगा। मलबा हटने में लगभग दस दिन का समय लग जाएगा। जांच होने के बाद पुल के निर्माण की प्रक्रिया शुरू की जाएगी। मौके पर होगी जांच

मृदा परीक्षण के लिए सेतु निगम व लोक निर्माण विभाग के इंजीनियर मौके पर ही परीक्षण करेंगे। आवश्यकता पड़ने पर सैंपल लखनऊ लैब भी भेजे जाएंगे। मिट्टी कहां पर रेतीली है, कहां सख्त या दलदल ज्यादा है, कितने नीचे सख्त सतह है यह सब जांच में सामने आएगा। इस प्रक्रिया में आठ से दस दिन का समय लग सकता है। लखनऊ से आई टीम

लखनऊ से आई टीम ने अपना काम शुरू कर दिया है। इसमें शामिल इंजीनियर सुनील कुमार, अरशद, रामसुख, मनीष, अम्बर लाल समेत आठ सदस्य शामिल हैं। जो यहां खोदाई व सैंपल लेने का काम करेंगे। ये अधिकारी भी रहे मौजूद

निरीक्षण के दौरान सेतु निगम के सीनियर प्रोजेक्ट मैनेजर देवेंद्र सिंह, डिप्टी प्रोजेक्ट मैनेजर बृजेंद्र शर्मा, अधिशासी अभियंता लोक निर्माण खंड एक राजेश चौधरी सहित दोनों विभागों के इंजीनियर भी मौजूद रहे। विशेषज्ञों ने किया निरीक्षण

कोलाघाट का पुल जिस तरह से ढहा उससे अधिकारी ही नहीं निजी कंपनियां भी हैरान हैं। देश में बड़े व विपरीत परिस्थितियों वाले स्थान पर पुल बनाने का अनुभव रखने वाली फर्म टंडन कंसल्टेंट के सीईओ विनय गुप्ता को भी बतौर एक्सपर्ट सेतु निगम के अधिकारियों ने यहां बुलाया। पुल का काफी देर तक उन्होंने मुआयना किया। कहा कि जिस तरह से यह जमीन में धंसा है वह भी हैरान हैं। क्योंकि अपने अब तक करियर में उन्होंने पुल टूटने व गिरने की घटनाएं देखी व सुनी हैं, लेकिन इस तरह से पिलर को जमीन में समाते नहीं देखा। उन्होंने अब तक कई पुल बनाए हैं, लेकिन यहां जिस तरह से यह पुल गिरा है वह सामान्य घटना नहीं है। वह अपने स्तर से भी इसकी जांच करेंगे। इसकी रिपोर्ट महत्वपूर्ण है ताकि जिस कमी के कारण यह पुल ढहा है उससे आगे होने वाले निर्माण में सावधानी बरती जा सके।

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