जल स्त्रोतों को जीवनदान के लिए डॉ. संगीता चला रहीं अभियान

तालाब नदी कुएं पोखर यह न सिर्फ जल संचयन का बड़ा माध्यम हैं बल्कि जलीय जीव जंतु बल्कि मानव जीवन को बचाने में इनका महत्वपूर्ण योगदान है। इसलिए सभी की जिम्मेदारी है कि इन जल स्त्रोतों बचाएं। उनका संरक्षण करने में आगे आएं। यह कहना है डा. संगीता मोहन का।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 17 Apr 2021 12:53 AM (IST) Updated:Sat, 17 Apr 2021 12:53 AM (IST)
जल स्त्रोतों को जीवनदान के लिए डॉ. संगीता चला रहीं अभियान
जल स्त्रोतों को जीवनदान के लिए डॉ. संगीता चला रहीं अभियान

जेएनएन, शाहजहांपुर : तालाब, नदी, कुएं, पोखर यह न सिर्फ जल संचयन का बड़ा माध्यम हैं, बल्कि जलीय जीव जंतु बल्कि मानव जीवन को बचाने में इनका महत्वपूर्ण योगदान है। इसलिए सभी की जिम्मेदारी है कि इन जल स्त्रोतों बचाएं। उनका संरक्षण करने में आगे आएं। यह कहना है डा. संगीता मोहन का। पेशे से चिकित्सक डॉ. संगीता समाजसेवा के साथ-साथ जल संचयन के लिए भी काम कर रही हैं।

डॉ. संगीता को क्लीनिक से जब भी समय मिलता है। वह बच्चों और महिलाओं के बीच जाकर उन्हें जागरूक करती हैं। बूंद-बूंद पानी का उपयोग व उसका महत्व बताती हैं। परिचितों को नए निर्माण में सोकपिट बनाने पर जोर देती हैं। उनके घर में शॉवर का प्रयोग नहीं होता है। आरओ का पानी गमलों में तथा एसी से निकलने वाला पानी पाइप के जरिए क्यारी में जाता है।

तालाब को बचाने में किया सहयोग

भावलखेड़ा ब्लाक का गांव है ऐंठा हुसैनपुर। इस गांव में तालाब को लोग पाटकर अवैध निर्माण करा रहे थे। डॉ. संगीता इस बारे में पता चलने पर गांव पहुंची। उन्होंने लोगों को समझाने की कोशिश की तो कब्जा करने वालों का जवाब था कि रहने के लिए कोई जगह नहीं। उन्होंने वहां के त्रिपाठी परिवार की मदद से तत्कालीन प्रधान व सेक्रेटरी से बात की। ग्राम समाज की जमीन के पट्टे करवाए। कुछ दिन बाद तालाब को फिर से पाटने की कोशिश हुई। इस तालाब की दूसरी ओर रहने वालों ने आवागमन के साधन का बहाना बनाया, जिस पर डा. संगीता ने एक बार फिर से त्रिपाठी परिवार की मदद से ग्रामीणों को समझाया। उन्होंने कहा कि तालाब पर पुलिया बनवा दी जाए। लोग मान गए। यह तालाब विदेशी पक्षियों का पसंदीदा स्थल बन चुका है।

कुओं पर शुरू कर रहीं काम

चौकसी स्थित फूलमती मंदिर के पास स्थित पौराणिक कुएं में लोगों ने मलबा व कूड़ा डालना शुरू किया था, जिससे यह बंद होने लगा था। डा. संगीता ने ने मुहल्ले की महिलाओं के साथ मिलकर इस पर रोक लगवाई। इसी तरह छाया कुआं को भी फिर से जीवित करने के लिए उन्होंने नगर निगम से संपर्क किया है।

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