सब्जी मंडी में कागजों से मुक्ति, उगाही से नहीं

आलू प्याज समेत सात सब्जियों व सभी फल से मंडी टैक्स व विकास शुल्क खत्म किए जाने के बावजूद न तो व्यापारी खुश है न ही खुदरा व्यापारी।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 05 Jun 2020 11:46 PM (IST) Updated:Fri, 05 Jun 2020 11:46 PM (IST)
सब्जी मंडी में कागजों से मुक्ति, उगाही से नहीं
सब्जी मंडी में कागजों से मुक्ति, उगाही से नहीं

जेएनएन, रो•ा, शाहजहांपुर : आलू, प्याज समेत सात सब्जियों व सभी फल से मंडी टैक्स व विकास शुल्क खत्म किए जाने के बावजूद न तो व्यापारी खुश है न ही खुदरा व्यापारी। किसान तो लागत न निकलने पर माथा पीट रहे हैं। सब्जी के खरीददार मंडी टैक्स व विकास शुल्क को छलावा बता रहे हैं। उनका कहना है कि सब्जी व्यापारी पूर्व की तरह पांच फीसद का टैक्स वसूल रहे हैं।

सरकार ने हाल ही में दो फीसद मंडी टैक्स व आधा फीसद विकास शुल्क खत्म कर दिया। इसकी जगह एक फीसद का प्रयोक्ता भार लगा दिया। इससे व्यापारियों को कागजों से निजात निजात मिल गई। लेकिन मंडी में आने वाले सभी माल पर हर यूजर चार्जेज (प्रयोक्ता प्रभार) के नाम पर मंडी में टैक्स वसुली की बरकरार रही। प्रयोक्ता भार के बहाने कई सब्जी व्यापारी पूर्व की तरह पांच फीसद का टैक्स भी वसूल रहे हैं। सरकार ने दो फीसद मंडी टैक्स और आधा प्रतिशत विकास शुल्क को खत्म कर दिया। इससे कागजों के झंझट से तो निजात मिल गई। लेकिन मंडी में यूजर चार्जेज (प्रयोक्ता प्रभार) के नाम पर एक फीसद की वसूली की जा रही है। इससे आधा फीसद का ही फायदा हुआ है।

उमेश चंद्र मखीजा, उपाध्यक्ष - फल सब्जी कमीशन यूनियन सब्जी व्यापारी अभी भी पांच फीसद कमीशन ले रहे हैं, जबकि टैक्स खत्म हो चुका है। हमारा होटल है, इसके लिए सब्जी लेने आता हूं, कोई राहत नहीं मिली।

अशोक कुमार गत वर्ष एक बीघा तोरई में तीन हजार की कमाई थी, इस वर्ष लागत निकालना मुश्किल है। तोरई 5 से 8 रुपये किलों में बेचनी पड़ रही है।

बसंत रैपुरा

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