शाहजहांपुर में अधिवक्ता की हत्या का आरोपित बोला - मुझे कोई पछतावा नहीं, उन्हें न मारता तो खुद मर जाता
अधिवक्ता सुरेश चंद्र गुप्ता को अपने कृत्य का कोई पछतावा नहीं है। उन्होंने कहा कि अगर वह भूपेंद्र प्रताप सिंह को नहीं मारते तो खुद अपनी जान दे देते। क्योंकि वह उनसे काफी परेशान हो चुके थे। इसके सिवाय कोई रास्ता नहीं रह गया था
जेएनएन, शाहजहांपुर : अधिवक्ता सुरेश चंद्र गुप्ता को अपने कृत्य का कोई पछतावा नहीं है। उन्होंने कहा कि अगर वह भूपेंद्र प्रताप सिंह को नहीं मारते तो खुद अपनी जान दे देते। क्योंकि वह उनसे काफी परेशान हो चुके थे। इसके सिवाय कोई रास्ता नहीं रह गया था।
रिपोर्ट दर्ज होने के बाद पूछताछ के लिए हिरासत में लिए गए सुरेश चंद्र गुप्ता से पुलिस ने पूछताछ की तो उन्होंने कुछ ही देर में पूरा सच बता दिया। मीडिया के सामने पेश किया गया तो पूरी तरह से सामान्य रहे। बताया कि उनके ऊपर भूपेंद्र ने 156-तीन के तहत 24 मुकदमे कर रखे थे। लूट, चोरी, डकैती जैसी धाराओं में दर्ज मुकदमे में अगर वह एक मुकदमा निपटाते तो भूपेंद्र रिवीजन डालकर उसे फिर से सुनवाई में पहुंचा देते। हर साल एक या दो मुकदमे उनके ऊपर करा देते थे। उनके खिलाफ 153 शिकायतें की थीं। वह पूरी तरह से परेशान हो चुके थे। उन्हें रात में नींद नहीं आती थी। एक ही रास्ता रह गया था या तो वह अपनी जान दे दें या फिर भूपेंद्र को मार दें। उन्होंने दूसरा रास्ता चुना। सुरेश गुप्ता ने बताया कि वह तमंचा जेब में रखकर ले गए थे। गेट पर वकीलों की चेकिग नहीं होती है। इसलिए आसानी से उसे लेकर अंदर तक पहुंच गए। हत्या के लिए रिकार्ड रूम का कार्यालय ही चुनने के सवाल पर बताया कि उन्हें पता था कि भूपेंद्र वहां जरूर आएंगे। क्योंकि उनके व भूपेंद्र के मुकदमों की सुनवाई एक ही जगह चल रही है। जैसे ही मौका मिला उन्होंने गोली मार दी। सुरेश ने कहा कि उन्हें जेल जाने का अफसोस नहीं। कम से कम कुछ जीवन तो बच गया।