आजाद भारत में जमींदार व्यवस्था में कैद मेंहदावल
संतकबीर नगर देश की आजादी के 74 साल बाद भी जनपद का मेंहदावल कस्बा ब्रिटिशकालीन जमींदारी व्यवस्था की कैद से मुक्त नहीं हो सका है। यहां अब भी अपने पुश्तैनी मकान में खिड़की-दरवाजे लगवाने के लिए जमींदार को नजराना देना पड़ता है।
संतकबीर नगर: देश की आजादी के 74 साल बाद भी जनपद का मेंहदावल कस्बा ब्रिटिशकालीन जमींदारी व्यवस्था की कैद से मुक्त नहीं हो सका है। यहां अब भी अपने पुश्तैनी मकान में खिड़की-दरवाजे लगवाने के लिए जमींदार को नजराना देना पड़ता है। कस्बे में भूमि क्रेता को सौदे की पूरी राशि का एक चौथाई जमींदार को अलग से देना पड़ता रहा। हालांकि, समय के साथ इसमें बदलाव जरूर आया है। अब चौथाई भाग तो नहीं परंतु एक मोटी रकम जरूर देनी पड़ती है।
मेंहदावल में जमींदारी व्यवस्था खत्म न होने के पीछे क्या और कौन से कारण हैं? इसे लेकर अधिकारियों द्वारा भी कुछ ठोस जवाब नहीं दिया जाता है। स्थानीय लोग इस व्यवस्था से परेशान हैं। साप्ताहिक बाजार में जमींदारों द्वारा फल, सब्जी आदि की दुकान लगाने वालों से बैठकी वसूल की जाती है। कई सड़कों की पटरियों पर गुमटी रखने वाले जमींदारों को ही किराया देते हैं। अतिक्रमण हटवाने के दौरान अक्सर ही जमींदार और नगर पंचायत प्रशासन आमने-सामने भी हो जाते हैं। हद तो यह है कि सड़क व नाली निर्माण के दौरान भी भूमि स्वामित्व को लेकर नगर पंचायत व जमींदारों के बीच तकरार होती है। यही कारण है कि अभी तक प्रस्तावित कई परियोजनाएं अधूरी हैं।
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जमींदारी व्यवस्था को खत्म करवाने के लिए शासन को पत्र भेजा गया है। राजस्व परिषद में मामला विचाराधीन है। उन्हें आश्वासन मिला है कि जल्द ही इस पर ठोस कार्रवाई की जाएगी। राकेश सिंह बघेल, विधायक मेंहदावल ----------------------
कुछ जगहों पर स्थानीय लोग विवाद पैदा करते रहते हैं। खुलकर कोई कुछ नहीं बोलता है, लेकिन कभी-कभी बाजार में बैठकी वसूलने का मामला आता है। इसकी जानकारी वरिष्ठ अधिकारियों को दे दी गई है। प्रदीप कुमार शुक्ल, ईओ मेंहदावल
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हमारे पूर्ववर्ती अधिकारियों ने इसके लिए शासन को लिखा है। वह खुद भी इसके लिए राजस्व परिषद को पत्र लिखकर मामले से अवगत कराएंगी।
दिव्या मित्तल, डीएम संतकबीर नगर