तीनों लोकों के गुरु भगवान शिव की पूजा फलदायी
इनकी पूजा साकार व निराकार दोनों रूपों में की जाती है।
संतकबीर नगर: भोलेनाथ भगवान शिव तीनों लोकों के गुरु हैं। त्रिदेव में सबसे श्रेष्ठ हैं। इनकी पूजा साकार व निराकार दोनों रूपों में की जाती है। शिव ब्रह्मा रूप होने के कारण निराकार हैं। उनका न कोई स्वरूप है और न ही आकार है। आदि और अंत न होने से लिग को शिव का निराकार रूप माना जाता है। निराकार परमात्मा का जागृत रूप हैं शिवलिग। जो शिव निराकार रूप में पूजे जाते हैं, वही शिव साकार माने गए हैं। ज्योतिर्लिंग वस्तुत: शिवलिग के शक्ति स्वरूप हैं। जबकि उनके साकार रूप में भगवान शंकर मानकर पूजा की जाती है।
सनातन धर्म की पौराणिक मान्यता के अनुसार श्रावण माह देवों के देव महादेव भगवान शंकर का महीना माना जाता है। पुराणों, वेदों और शास्त्रों में भगवान शिव-महाकाल के महात्म्य को प्रतिपादित किया गया है। भगवान शिव संस्कृति के प्रणेता आदिदेव महादेव हैं। 33 कोटि देवताओं में शिरोमणि देव शिव ही हैं। पौराणिक कथा है कि जब सनत कुमारों ने महादेव से उन्हें सावन महीना प्रिय होने का कारण पूछा तो महादेव भगवान शिव ने बताया कि जब देवी सती ने अपने पिता दक्ष के घर में योगशक्ति से शरीर त्याग किया था, उससे पहले देवी सती ने महादेव को हर जन्म में पति के रूप में पाने का प्रण किया था। अपने दूसरे जन्म में देवी सती ने पार्वती के नाम से हिमाचल और रानी मैना के घर में पुत्री के रूप में जन्म लिया। पार्वती ने युवावस्था के श्रावण माह में निराहार रहकर कठोर व्रत किया और उन्हें प्रसन्न कर विवाह किया। इसके बाद ही महादेव के लिए यह विशेष हो गया। वर्तमान समय में कोरोना महामारी से बचाव करते हुए घरों में पूजन करें।
डा. विजयकृष्ण ओझा, विभागाध्यक्ष संस्कृृत विभाग
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