आधी रात जमानत का क्या है राज?

पुलिस की बर्बरता के शिकार बने दो भाइयों को आधी रात 12 बजे जमानत दिया जाना पुलिस और प्रशासन की मानवता है या इसके पीछे फंस रही गर्दन को बचाने का प्रयास। यह बात बुधवार को जिलेभर में चर्चाओं का मुख्य बिदु बना रहा। किसी का कहना है कि थाने से चालान होने के बाद देर शाम उन्हें जिला कारागार में दाखिल किए जाने की अड़चन थी तो अनेक लोगों का मानना है कि पीड़ितों को मरहम लगाकर मामले को रफा दफा करवाने की एक कड़ी है।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 13 Nov 2019 11:44 PM (IST) Updated:Thu, 14 Nov 2019 06:14 AM (IST)
आधी रात जमानत का क्या है राज?
आधी रात जमानत का क्या है राज?

संतकबीर नगर:पुलिस की बर्बरता के शिकार बने दो भाइयों को आधी रात 12 बजे जमानत दिया जाना पुलिस और प्रशासन की मानवता है या इसके पीछे फंस रही गर्दन को बचाने का प्रयास। यह बात बुधवार को जिलेभर में चर्चाओं का मुख्य बिदु बना रहा। किसी का कहना है कि थाने से चालान होने के बाद देर शाम उन्हें जिला कारागार में दाखिल किए जाने की अड़चन थी तो अनेक लोगों का मानना है कि पीड़ितों को मरहम लगाकर मामले को रफा दफा करवाने की एक कड़ी है।

बेलहर थानाक्षेत्र के ग्राम लोहरसन निवासी दो सगे भाइयों पर पुलिस द्वारा लाकअप में लाठियां बरसाने के बाद उनकी हालत बिगड़ गई। उन्हें शांति भंग की आशंका में चालान किया गया। एसडीएम ने दोनों की हालत देखकर पहले मेडिकल करवाकर लाने को कहा। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र मेंहदावल पर पीड़ितों की हालत खराब होने पर सीओ और एसडीएम भी पहुंचे। दो बार मेडिकल जांच हुई। चिकित्सक ने दोनों को जिला अस्पताल के लिए रेफर किया। इस दौरान सीओ और एसडीएम द्वारा गोलमटोल जवाब भी दिया गया। सीओ गयादत्त मिश्र ने जमानत हो जाने की बात मंगलवार देर शाम कही, जबकि एसडीएम ने इससे इंकार किया। यह चलता रहा और आधी रात जमानत दे दी गई। सवाल उठता है कि शाम तो दूर आधी रात तक एसडीएम दोनों का इंतजार करते रहे तो इसके पीछे कुछ विशेष कारण रहा होगा। अब असलियत तो पुलिस और प्रशासन के अधिकारी ही जानें, परंतु मामले को लेकर पुलिस की खासी किरकिरी हुई है। इससे इंकार नहीं किया जा सकता।

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