डीएम ने धान की फसल का लिया जायजा
धान की पैदावार की जानकारी प्राप्त करने के लिए दो किसानों के खेत में क्राप कटिग करवाई
संतकबीर नगर: डीएम दिव्या मित्तल शुक्रवार को खलीलाबाद ब्लाक के चकदही गांव में पहुंची। उन्होंने गांव के दो किसानों के धान की फसल का जायजा लिया। धान की पैदावार की जानकारी प्राप्त करने के लिए इन किसानों के खेत में क्राप कटिग करवाई। धान की लहलहाती फसल के बीच डीएम को अचानक देखकर गांव की महिला व पुरुष हैरान हो गए। डीएम ने किसानों से फसल के बारे में जानकारी ली।
डीएम शुक्रवार को खलीलाबाद ब्लाक के चकदही गांव में पहुंची। किसान कौशल पाण्डेय के धान की फसल का जायजा लिया। किसान ने बताया कि उन्होंने सरयू-52 बीज का उपयोग किया है। त्रिभुजाकार में 43.3 वर्ग मीटर क्षेत्रफल में इनकी धान की फसल काटी गई। इतने क्षेत्रफल में 26.460 किलो धान का उत्पादन होने की जानकारी मिली। इस प्रकार प्रति हेक्टेयर 6110 किलो धान का उत्पादन हुआ। वहीं, इसी गांव में पटेश्वरी पाण्डेय के त्रिभुजाकार में 43.3 वर्ग मीटर क्षेत्रफल में इनकी धान की फसल काटी गई। इतने क्षेत्रफल में 25.100 किलो धान का उत्पादन होना पाया गया। इस प्रकार इनके खेत में प्रति हेक्टेयर 5796 किलो धान का उत्पादन हुआ। इस अवसर पर तहसीलदार शशांक शेखर राय, राजस्व लेखपाल, कानूनगो सहित अन्य कर्मी मौजूद रहे। डीएम के इंतजार में कलेक्ट्रेट में बैठी रहीं संविदा स्टाफ नर्स
संतकबीर नगर: डीएम के इंतजार में कई संविदा स्टाफ नर्स शुक्रवार को कलेक्ट्रेट परिसर में बैठी रहीं। इन कर्मियों ने कहा कि उन्हें पांच माह से मानदेय नहीं मिल रहा है। ड्यूटी करने के लिए घर से अस्पताल आने-जाने में दिक्कत हो रही है। स्वयं का भरण-पोषण करना मुश्किल हो गया है। करीब एक साल से मानदेय भुगतान की समस्या बनी हुई है।
संगीता, सुनीता, नजमा, रेखा, प्रमिला आदि स्टाफ नर्सों ने कहा कि संविदा पर कार्य करने के कारण सेवा से हटाने का प्रयास भी होता रहा है। कोरोना संकट काल में अच्छी सेवा देने के बाद भी उनके साथ यह स्थिति है। वे डीएम से वार्ता करने के लिए यहां आई हैं, ताकि उनकी समस्याओं का समाधान हो सके। सभी ने कहा कि वह लोग पिछले चार घंटे से परिसर में जिलाधिकारी का इंतजार कर रही हैं, लेकिन अभी तक मुलाकात नहीं हो पाई है। हम लोग अपनी समस्या लेकर कहां जाएं। विभागीय अधिकारी बात सुनने को तैयार नहीं हैं। डीएम से भी मुलाकात नहीं हो पा रही। यदि उनकी मांगें नहीं मानी गईं तो सभी लोग आंदोलन को बाध्य होंगी।