मतदान में घूंघट ने मूंछों को पीछे छोड़ा

सुबह सात बजे से मतदान आरंभ होते ही महिलाएं कतार में लग गईं। भाई उन्हें दो दोहरी जिम्मेदारी निभानी थी। एक तरफ उनके सामने लोकतंत्र को मजबूत करने के लिए मतदान करना था दूसरी तरफ परिवार के लोगों के भोजन का भी इंतजाम करना था।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 15 Apr 2021 11:35 PM (IST) Updated:Thu, 15 Apr 2021 11:35 PM (IST)
मतदान में घूंघट ने मूंछों को पीछे छोड़ा
मतदान में घूंघट ने मूंछों को पीछे छोड़ा

संतकबीर नगर:

वैसे तो जनपद के लगभग हर चुनावों में महिलाओं के मतदान का प्रतिशत पुरुषों से अधिक सामने आता रहा है। इस बार भी घूंघट ने मूंछों को एक बार फिर से पीछे करके लोकतंत्र को मजबूत करने में अपना योगदान दिया है। जनपद में हुए 70 फीसद मतदान में महिलाओं की भागीदारी 38 फीसद व पुरुषों 32 फीसद रही।

सुबह सात बजे से मतदान आरंभ होते ही महिलाएं कतार में लग गईं। भाई उन्हें दो दोहरी जिम्मेदारी निभानी थी। एक तरफ उनके सामने लोकतंत्र को मजबूत करने के लिए मतदान करना था, दूसरी तरफ परिवार के लोगों के भोजन का भी इंतजाम करना था। सभी का महिलाओं ने बखूबी निर्वहन किया। देवरिया गंगा के बूथ संख्या 87 पर दिन में 12 बजे 592 के सापेक्ष 167 मत पड़े थे। इसमें 100 महिला व 67 पुरुष शामिल रहे। इसी प्रकार सियरा सांथा के बूथ संख्या 83 पर एक बजे 231 मत पड़े थे इसमें 122 महिला व 111 पुरुष रहे। बघौली ब्लाक के जूरी के बूथ संख्या 163 पर दिन में तीन बजे तक पड़े 350 मतों में 230 महिला व 120 पुरुष रहे। यही हाल जनपद के अधिकांश बूथों पर रहा। सेमरियावां के तिनहर माफी के बूथ संख्या 22 पर भी दो बजे तक पड़े 220 मतों में 119 महिला व 101 पुरुष रहे। यही हाल मतदान के अंत तक रहा। हालांकि पांच से छह बजे तक पुरुषों का मतदान अधिक हुआ। कुल मिलाकर मतदान में महिलाएं पुरुषों पर भारी नजर आईं।

देवी चंद्रघंटा की पूजा करके कल्याण की प्रार्थना

चैत्र नवरात्र के तीसरे दिन गुरुवार को नवदुर्गा शक्ति आराधना में तृतीय देवी चंद्रघंटा के विग्रह की पूजा हुई। भक्तों ने शांति व कल्याण के लिए मां के इस रूप का दर्शन किया। दुर्गा सप्तशती पाठ कर आराध्य देवी की स्तुति की।

आस्था व विश्वास के साथ शक्ति अर्जन का महापर्व नवरात्र में शक्ति की अधिष्ठात्री देवी जगत जननी मां दुर्गा के विभिन्न रूपों की पूजा कर कल्याण की कामना की जाती है। शैलपुत्री व द्वितीय ब्रह्माचारिणी के पश्चात तीसरे दिन देवी चंद्रघंटा की पूजा की गई। सुबह से ही मंदिरों में भक्तों का तांता लगा रहा। घरों में पूजा स्थलों के साथ मंदिरों में दुर्गा सप्तशती पाठ व जागरण के कार्यक्रम किए गए।

शहर के समय माता मंदिर, दुर्गा मंदिर बरदहिया, श्रीलक्ष्मीनारायण मंदिर, श्रीरामजानकी मंदिर, वन देवी खलीलाबाद, पाटेश्वरी माता मंदिर आदि स्थानों पर भक्तों ने माता के दर्शन किए। अनेक स्थान पर शतचंडी पूजन व रात्रि जागरण भी किया गया। धनघटा, मेंहदावल, नाथनगर, पौली, धर्मसिंहवा आदि स्थानों पर मंदिरों में पूजन हुआ। माता काली की आराधना समय माता मंदिर में आस्थावानों ने कड़ाई चढ़ाकर प्रसाद बांटा। श्रीसत्यनारायण व्रत कथा, सप्तशती पाठ आदि कराया। परिसर में स्थापित मां काली का वैदिक मंत्रोच्चारण से पूजा की गई। ब्रह्मास्थान पर पूजन-अर्चन चुरेब के ब्रह्मास्थान कौआटाड़ में पूजन हुआ। लहुरादेवा समय स्थान, कांटे, बूधा, मीरगंज, घुटसाल, उमिला, फुलवरिया,बेलहवा, कुर्थियां में भक्तों ने देवी का दर्शन किया।

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