विदेशी पक्षियों की कत्लगाह बनी बखिरा की मोती झील
झुंगिया व शनिचरा गांव के शिकारी दोपहर में ही शिकार करने के लिए मोती झील में उतर जाते हैं। ये पूरी रात झील में शिकार करते है। इनके खिलाफ कोई कार्रवाई न होने से इनमें भय नहीं है। वहीं शिकार किए गए विदेशी पक्षियों को खरीदने के लिए गोरखपुर जनपद के सहजनवां व अन्य स्थानों से तथा बस्ती व इस जिले के लोग लग्जरी गाड़ियों से यहां पर पहुंचते हैं।
संतकबीर नगर: बखिरा की मोती झील सदियों से प्रवासी पक्षियों का पसंदीदा जगह रहा है। इस झील को वर्ष 1990 में पक्षी अभ्यारण्य घोषित किया गया था। पक्षियों की सुरक्षा के लिए वन कर्मियों की तैनाती कर दी गई थीं। वन विभाग व शिकारियों की मिलीभगत का परिणाम है कि यह झील विदेशी पक्षियों की कत्लगाह बन चुकी है। बेखौफ मेहमान पक्षियों का शिकार किया जा रहा है।
दोपहर में ही इन गांवों के शिकारी आ जाते हैं झील में
झुंगिया व शनिचरा गांव के शिकारी दोपहर में ही शिकार करने के लिए मोती झील में उतर जाते हैं। ये पूरी रात झील में शिकार करते है। इनके खिलाफ कोई कार्रवाई न होने से इनमें भय नहीं है। वहीं शिकार किए गए विदेशी पक्षियों को खरीदने के लिए गोरखपुर जनपद के सहजनवां व अन्य स्थानों से तथा बस्ती व इस जिले के लोग लग्जरी गाड़ियों से यहां पर पहुंचते हैं। लालसर 2000 रुपया, टिकिया 500 रुपया, कैमा 400 रुपया, सेवार 800 रुपया, पटियरा 500 रुपया तथा प्रति पक्षी पुछास 500 रुपये में खरीदकर चले जाते हैं।
यहां पर भी खरीदते हैं लोग
बखिरा झील से सटे झुंगिया व शनिचरा गांवों में सुबह से ही शिकार किए गए पक्षियों की बोली लगाई जाती है। इसके शौकीन यहां से खरीदकर ले जाते हैं। इसकी पुख्ता जानकारी होने के बाद भी पुलिस व वन विभाग के कर्मी खामोश हैं।
डीएफओ डा. टी रंगाराव ने कहा कि
इसकी जानकारी प्राप्त की जाएगी। यदि मामला सही मिला तो संबंधित कर्मियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।