किसानों के लिए मुसीबत बनी पराली

सेमरियावां क्षेत्र के किसानों के लिए खेतों की पराली अब मुसीबत बन गई है। वे मजबूर होकर पराली को सड़क की पटरियों तथा खेत के मेड़ पर रखने को मजबूर हैं। कंबाइन भी नियमों की धज्जियां उड़ाते हुए बिना रीपर के ही धान की कटाई कर रही हैं।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 19 Nov 2019 10:54 PM (IST) Updated:Tue, 19 Nov 2019 10:54 PM (IST)
किसानों के लिए मुसीबत बनी पराली
किसानों के लिए मुसीबत बनी पराली

संतकबीर नगर: सेमरियावां क्षेत्र के किसानों के लिए खेतों की पराली अब मुसीबत बन गई है। वे मजबूर होकर पराली को सड़क की पटरियों तथा खेत के मेड़ पर रखने को मजबूर हैं। कंबाइन भी नियमों की धज्जियां उड़ाते हुए बिना रीपर के ही धान की कटाई कर रही हैं।

राष्ट्रीय हरित न्यायधिकरण (एनजीटी) ने धान की फसल के अवशेष को जलाने से मना किया है। साथ ही कंबाइन में रीपर लगाने के आदेश भी दिया है। अधिकतर किसान न्यायालय के आदेश का पालन करते हुए पराली न जलाने का निर्णय लिए हैं। ऐसे में पराली खेतों में ही पड़ी हैं। पराली न जलाने से खेतों की जुताई में बड़ी समस्या हो रही है, जिससे रबी की बुवाई में देरी हो रही है।

क्षेत्र के किसान संदीप कुमार, रामछैल, नेमूतुल्लाह, अब्दुल मारुफ ने बताया कि कंबाइन में रीपर न लगने से खेतों में पराली पड़ी है। पराली को खेत से बाहर करने के लिए मजदूर एक एकड़ का दो हजार रुपया मांग रहे हैं। जो भी फरमान होता है उससे प्रभावित सिर्फ किसान ही होता है। देश-प्रदेश में लगे कारखानों से वायू प्रदूषण चौबीस घंटे होता है। उस पर पाबंदी नहीं है। हम किसान के पराली से ही प्रदूषण फैल रहा है। यदि ऐसे ही किसानों को परेशान किया जाएगा तो हम लोग खेती करना ही छोड़ देंगे। सरकार को चाहिए कि हर किसान का पराली भी खरीदना शुरू करे, तभी किसानों की समस्याएं दूर होंगी।

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