मनोवांक्षित फल देने के कारण शिव का नाम पड़ा आशुतोष

संतकबीर नगर श्रावणे आदि देवो श्री शिव पूजनं महत्पुण्यं कथ्यते परमेश्वर अर्थात श्रावण माह में

By JagranEdited By: Publish:Mon, 26 Jul 2021 11:10 PM (IST) Updated:Mon, 26 Jul 2021 11:10 PM (IST)
मनोवांक्षित फल देने के कारण शिव का नाम पड़ा आशुतोष
मनोवांक्षित फल देने के कारण शिव का नाम पड़ा आशुतोष

संतकबीर नगर: श्रावणे आदि देवो श्री शिव पूजनं महत्पुण्यं कथ्यते परमेश्वर:, अर्थात श्रावण माह में आदि देव शिव की पूजा का कई गुना फल मिलता है, यह बात स्वयं परमेश्वर ने कही है। इसी क्रम में हर समय शिव की पूजा फलदायी होती है। गोस्वामी तुलसीदास ने लिखा है कि इच्छित फल बिनु शिव अवराधे, मिलहि न कोटि जोग जप साधे।। शिव आदि देव हैं इनकी पूजा ब्रह्मा और विष्णु भी करते हैं।

भक्तों को भो अर्थात हे प्रभु कहकर पुकारने पर वह कहते हैं जो चाहिए वह लें, इसी कारण शिव का नाम भोले भी पड़ा। मन की भावनाओं को समझकर भक्तों का कल्याण करने को लेकर उनका नाम आशुतोष भी पड़ा। शास्त्रों में कहा गया है कि किसी व्यक्ति ने अपने कल्याण के लिए विशेषत: श्रावण माह में शिव की आराधना नहीं की तो उसका जन्म निरर्थक माना जाता है। शास्त्रों में शिव का अभिषेक विभिन्न पदार्थों से कराने पर अलग-अलग फल प्राप्त होने का उल्लेख है। दूध अथवा भांग के रस से अभिषेक कराने पर पुत्र-पौत्र आदि की प्राप्ति होती है, गन्ने के रस से अभिषेक पर अखंड लक्ष्मी की प्राप्ति होती है, चीनी के रस से अभिषेक कराने पर जड़ बुद्धि वाले व्यक्ति की बुद्धि उन्नत हो जाती है। कुश के रस से अभिषेक कराने पर बीमारियों का नाश होता है तो वहीं मधु और घी से शिव का अभिषेक करने पर राज्य सत्ता की प्राप्ति होती है। ऋंगी से श्रावण माह में शिव का अभिषेक करने पर काशी में एक कल्प रहने का फल प्राप्त होता है। गंगा जल से शिव का अभिषेक सर्वाधिक फलदायी होता है।

हर-हर महादेव का उद्घोष करने के साथ ही मन के मंदिर में शिव-पार्वती को बसाने वालों का हर तरह से कल्याण होता है। कोरोना का दौर चल रहा है, ऐसे में भीड़ के बीच जाने के बजाय घरों पर ही रुद्राभिषेक किया जा सकता है।

पं. अभयनंदन त्रिपाठी, ठाकुरद्वारा, मेंहदावल

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