धरती को हरा-भरा रखने के लिए बचाएं बारिश की एक-एक बूंद

केवल सरकारी प्रयास से नहीं अपितु सभी लोगों को करनी होगी पहल

By JagranEdited By: Publish:Fri, 25 Jun 2021 06:08 PM (IST) Updated:Fri, 25 Jun 2021 06:08 PM (IST)
धरती को हरा-भरा रखने के लिए बचाएं बारिश की एक-एक बूंद
धरती को हरा-भरा रखने के लिए बचाएं बारिश की एक-एक बूंद

संतकबीर नगर: पानी के बिना सुरक्षित जिदगी की कल्पना नहीं की जा सकती है। धरती को हरा-भरा रखने के लिए बारिश की एक-एक बूंद को बचाना होगा। यह जिदगी से जुड़ा मामला है, इसलिए केवल सरकारी प्रयास के भरोसे नहीं रहना चाहिए। सभी लोगों को इस पर सार्थक पहल करनी होगी। यदि हम ऐसा नहीं किए तो अनाज पैदा करने वाली भूमि ऊसर अथवा बंजर हो सकती है। खेती-किसानी पर बुरा असर पड़ सकता है। इससे अनाज का संकट उत्पन्न हो सकता है। यह स्थिति न आए, इस पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है। जानिए, क्या कहते हैं कृषि वैज्ञानिक.. जल संरक्षण से ऊसर अथवा बंजर होने से बच जाएगी भूमि

खेत में खोदाई कराकर पोखरा बनाने पर बारिश का पानी बचाने में मदद मिलेगी। इससे भूगर्भ जल के स्तर के गिरावट में कमी आएगी। धान, गेहूं, सब्जी आदि फसलों की सिचाई पर खर्च कम होगा। इससे खेती की लागत घटेगी। भूगर्भ जल का स्तर सामान्य रहने पर भूमि ऊसर अथवा बंजर होने से बच जाएगी। मछली पालन में काफी फायदा मिलेगा। भूमि में नमी रहने से हरा चारा की कमी नहीं रहेगी। जगह की उपलब्धता के आधार पर 'रूफ रेन वाटर हार्वेस्टिग सिस्टम' लोगों को लगाना चाहिए। बारिश का पानी बचाने के लिए काफी उपयोगी साबित होगा। यदि सभी लोग इसके लिए आगे आ जाएं और इस पर पहल शुरू कर दें तो भविष्य में पानी का संकट उत्पन्न नहीं होगा।

डा. अरविद कुमार सिंह,वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक

कृषि विज्ञान केंद्र, संतकबीर नगर अभी समय है, पानी की बर्बादी पर हो जाएं सावधान

जिस प्रकार से घर अथवा बाहर पानी की बर्बादी और पानी का दोहन किया जा रहा है, यह चिता का विषय है। इसके चलते भूगर्भ जल का स्तर गिरता जा रहा है। 30 से 40 फीट वाले पुराने बोरिग अब पानी नहीं दे रहे हैं। 250 से 300 फीट नीचे तक स्टेनर बोरिग कराने की जरूरत पड़ रही है। गर्मी के मौसम में तमाम हैंडपंप कई बार हैंडल चलाने पर कम पानी देते हैं। इन स्थितियों को देखकर यह मंथन करना चाहिए कि यह नौबत आई क्यों.. पानी का दोहन और बर्बादी

यदि जल्द नहीं थमी तो भविष्य में पानी का संकट उत्पन्न हो सकता है। एक बूंद के लिए लोगों को तरसना पड़ सकता है। अभी समय है, लोग पानी की बर्बादी के प्रति सचेत हो जाएं। बारिश की एक-एक बूंद बचाने के लिए सार्थक पहल करें। केवल सरकारी प्रयास से यह समस्या दूर नहीं हो सकती, इसके लिए सभी को आगे आना होगा।

डा. विनोद बहादुर सिंह, कृषि वैज्ञानिक

कृषि विज्ञान केंद्र, बगही, संतकबीर नगर।

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