कटे हाथों पर भारी पड़े रामकिशोर के बुलंद हौसले
24 साल पहले चारा मशीन में फंसकर कट गए थे दोनों हाथ के पंजे
संतकबीरनगर : अगर हौसले बुलंद हों और इरादे मजबूत, तो कोई भी ताकत इंसान को आगे बढ़ने से रोक नहीं सकती। बघौली ब्लाक के जंगल कला खरकवा निवासी रामकिशोर ने कुछ ऐसा ही करके दिखाया है। तकरीबन 24 वर्ष पहले चारा मशीन में फंसकर उनके दोनों हाथ के पंजे कट चुके हैं। इसके बावजूद उन्होंने हार नहीं मानी। हौसले के बल पर अपने परिवार को खुशहाली की राह पर ले जा रहे हैं।
रामकिशोर निषाद सब्जी की खेती करते हैं। इनकी उम्र 54 वर्ष है। उन्होंने बताया कि 24 वर्ष पूर्व चारा काटने वाली मशीन में पुआल लगाने के दौरान उनके दोनों हाथ के पंजे कट गए थे। इसके बाद लगा कि जीवन में कुछ बचा ही नहीं है। उनके सामने बच्चों की परवरिश की बड़ी जिम्मेदारी थी। मन को मजबूत करके विपरीत परिस्थितियों का डटकर मुकाबला करने का निर्णय लिया। अपने सात बच्चों में से चार बेटियों श्याम परी, सोनमती, संजू, रामरतन, मंजू की शादी कर चुके हैं। सभी बच्चों को पढ़ाने के साथ ही चार कमरों का मकान भी बनवाया है। अब बेटे रामकरन और एक बेटी रेनू की शादी करनी बाकी है। इसकी तैयारियों में वह जुटे हैं। सरकारी स्तर से उन्हें दिव्यांग पेंशन के सिवा कुछ नहीं मिलता। उनके एक एकड़ पैतृक खेत और उनके हौसले की देन है कि वह समाज के लिए एक मिसाल बनकर सामने आए हैं। खुद चलाते हैं फावड़ा, बाजार में बेचते हैं सब्जियां
बिना पंजे के दोनों हाथ होने के बाद भी रामकिशोर फावड़ा चलाने के साथ ही खेतों में स्प्रे मशीन से दवाओं का छिड़काव करते हैं। बाजार में अपने खेतों में तैयार सब्जियों को खुद बेचते हैं। पशुओं के हरे चारे के लिए चारा मशीन भी चलाते हैं। अपने एक एकड़ खेत से हर वर्ष चार से पांच लाख की सब्जी पैदा कर लेते हैं। वह बताते हैं कि संकट में दिनों में पत्नी राजमती उनका सहारा बनीं। हमेशा हौसला बढ़ाने का कार्य किया। पत्नी द्वारा मिले आत्मबल से कटे हाथ कभी कमजोरी नहीं बन पाए।