नपा के चेयरमैन ने अरबन पीएचसी को लिया गोद

लोगों को अच्छी चिकित्सकीय सुविधा प्रदान करना उनकी पहली प्राथमिकता

By JagranEdited By: Publish:Wed, 23 Jun 2021 11:22 PM (IST) Updated:Wed, 23 Jun 2021 11:22 PM (IST)
नपा के चेयरमैन ने अरबन पीएचसी को लिया गोद
नपा के चेयरमैन ने अरबन पीएचसी को लिया गोद

संतकबीर नगर: नगरपालिका परिषद खलीलाबाद के चेयरमैन बुधवार को काशीराम शहरी आवास स्थित शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर पहुंचे। उन्होंने इस अरबन पीएचसी को गोद ले लिया। यहां पर उपलब्ध स्वास्थ्य सेवाओं के बारे में जानकारी प्राप्त की। यहां पर आए मरीजों से बातचीत की। स्वास्थ्य कर्मियों के व्यवहार और इलाज के बारे में जानकारी प्राप्त की।

चेयरमैन श्यामसुंदर वर्मा ने कहा कि इस स्वास्थ्य केंद्र को गोद लेने से पहले ही वह यहां पर कई कार्य करा चुके हैं। इसे सभी सुविधाओं से संपन्न कराने का प्रयास किया था। जो कमियां रह गई हैं, उसे इस केंद्र के अधिकारियों ने उन्हें बता दिया है। उनका शुरू से यही प्रयास रहा कि लोगों को चिकित्सकीय सुविधाएं, सड़क, बिजली, साफ पानी सहित सभी जरूरी सुविधाएं मिले। वह कोरोना संकट काल में नगरीय निकाय में लोगों को अच्छी सुविधा प्रदान कर रहे हैं। पीएम मोदी व प्रदेश की योगी सरकार के कार्यकाल में सर्वसमाज का विकास हो रहा है। इसी कारण भाजपा सरकार की लोकप्रियता दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। इनके पदचिह्नों पर चलकर वह अपने नगरीय निकाय का चौमुखी विकास कर रहे हैं। इस अवसर पर शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र की अधीक्षक डा. श्रुति श्रीवास्तव, फार्मासिस्ट मनोज मिश्र, स्टाफ नर्स सुस्मिता पाण्डेय, सभासद धर्मेंद्र, घनश्याम दास गुप्ता, अश्वनी चौरसिया, राजन यादव, अनिल पासवान, श्याम नारायण तिवारी, रामचंद्र चौरसिया, रवींद्र यादव, अनूप चौरसिया आदि लोग मौजूद रहे। आदिवासी संस्कृति व पहचान सुरक्षित रखने की मांग

संतकबीर नगर: राष्ट्रीय आदिवासी एकता परिषद के कार्यकर्ताओं ने बुधवार को राष्ट्रपति व राज्यपाल को संबोधित ज्ञापन अपर एसडीएम नवीन चंद्र श्रीवास्तव को सौंपा। कार्यकर्ताओं ने राज्यों में निवास करने वाले आदिवासियों की संस्कृति और पहचान समाप्त करने का विरोध जताया। विकास के नाम पर जल, जंगल और जमीन से बेदखल करने का आरोप लगाया।

संगठन के संयोजक उदयराज विद्यार्थी के नेतृत्व में सौंपे मांग पत्र में कहा गया है कि संविधान में आदिवासी समुदाय को अनुसूचित जनजाति के रूप में पहचान प्राप्त है। सामाजिक, शैक्षणिक, धार्मिक, राजनीतिक, सांस्कृतिक विरासत को सुरक्षित रखा जाना चाहिए। राज्य एवं केंद्र की सरकार लगातार आदिवासियों के विरोध में कानून बनाकर उनको बेदखल करने का काम कर रही है। ऐसे में जनजातियों के सामाजिक संगठनों के माध्यम से आंदोलन करना पड़ रहा है। कोरोना की वजह से अनेकों आदिवासियों के सामने रोजी-रोटी का संकट है। इस मौके पर आनंद कुमार गौतम, अहमद हुसैन, सिद्धनाथ, रामदास, सूर्यभान चौरसिया, गिरिजेश निषाद, अनिल, इंद्रजीत कुमार गौतम आदि मौजूद रहे।

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