माताएं रखेंगी व्रत, करेंगी संतान के दीघार्यु की प्रार्थना
निर्जल व्रत रखकर पर्व पर बरियार के पौधे का पूजन करेंगी माताएं
संतकबीर नगर : अश्विन कृष्ण पक्ष की अष्टमी को माताओं ने निर्जल व्रत धारण कर संतान के दीर्घायु होने की कामना करेंगी। 29 सितंबर को जीवत्पुत्रिका व्रत पर महिलाएं प्रचलित पौराणिक कथाओं का श्रवण कर पूजन करेंगी। संतान के गले में जूत बंधन कर यशस्वी होने की कामना करेंगी। इसको लेकर तैयारियां चल रही हैं।
महिलाएं अष्टमी लगते ही निर्जल व्रत का अनुष्ठान कर भगवान सूर्य, राजा जीमूतवाहन आदि की पूजा करके प्रसाद चढ़ाती हैं। दिन भर कथा के महात्म्य सुनकर संतान के दीर्घायु एवं यशस्वी होने की कामना करती हैं। शाम को महिलाएं नए परिधान में टोलियों के साथ मंदिर, पार्क व गांव के बाहर निकलती हैं। बरियार के पौधे व जीवित्पुत्रिका का पूजन करने की परंपरा है। अगली सुबह दही चिउड़े का भोग लगाकर दान करके पारण करती है। पौराणिक कथाओं में इसका उल्लेख महाभारत काल में मिलता है। अश्वत्थामा ने अमोघ अस्त्र अभिमन्यु की पत्नी उत्तरा के गर्भ पर चला दिया था। श्रीकृष्ण ने सूक्ष्म रूप धारण करके उत्तरा के गर्भ में प्रवेश किया और अमोघ अस्त्र को शरीर पर झेल कर शिशु की रक्षा की। यही पुत्र आगे चलकर परीक्षित के नाम से प्रसिद्ध हुए थे। कविता सुन भाव विभोर हुए श्रोता
संतकबीर नगर: जन साहित्यिक मंच की काव्य गोष्ठी रविवार को शहर के खलीलाबाद शहर स्थित एक स्कूल में हुई। कवियों ने कविता सुनाकर वाहवाही लूटी। लोगों ने तालियां बजाकर इनकी रचनाओं की सराहना की।
साद नंदौरी ने भले के साथ बैठो..आओ-जाओ, किसी भी काम पर दिल लगाओ.. सुनाकर सभी को अच्छा बनने के लिए प्रेरित किया। राधेश्याम मिश्र श्याम ने जिसके पास जमीर है वही होता है अमीर..इसी मार्ग पर लोगों को चलने के लिए प्रेरित किया। सरदार हरिभजन सिंह ने मैं ऐसा करूं गुनाह.. मुकदमा सांवरिया के पास हो.., मैं तेरा मुजरिम कहलाऊं.. तेरे चरणों में मेरा कारावास हो.. सुनाकर माहौल भक्तिमय बना दिया। कैलाश चंद्र दूबे चंचल ने चल अचल में सब में ये चंचल सत्य है, सत्य सीता, सत्य सीताराम है सुनाया तो सभी ने सराहा। अवधेश पांडेय ने भावों का रोली चंदन ले उनके चरणों में कर प्रणाम, मैं करूं अपनी कविता भक्तों के नाम सुनाकर वाहवाही लूटी। वयोवृद्ध कवि छविराज ने स्वतंत्रता की बेड़ियों को तोड़ने को आगे बढ़े, जय बोल वंदेमातरम फांसी के फंदे पर चढ़े..कविता सुनाकर शहीदों की याद ताजा किया। पवन सबा ने मेरा बचपन ही बुढ़ापे की तरह गुजरा है, अब मुझे याद नहीं कब जवानी आई। नरसिंह नारायण कमल ने मौका आया है यहां, कर लो अपना शोध, सही यहां पर कौन है, नहीं मुझे है बोध, कविता सुनाकर भाव विभोर किया। विपिन चंद्र जोशी ने हर तरफ है जलजला मासूम सड़क मिला, तितलियों के पर कटे अपनों को खोया क्या मिला सुनाकर अपनों के खाने का दर्द बयां किया। संचालन कर रहे हामिद खलीलाबादी ने जानवर-जानवर में मोहब्बत, दुश्मनी आदमी आदमी से सुनाकर प्रेम से रहने का संदेश दिया। इस मौके पर शरद भटनागर, रामबुझारत, जयकिशन गोंड आदि मौजूद रहे।