यहां पशु रहें तो जान बचना मुश्किल..!

गो-आश्रय केंद्र पर वर्तमान में एक भी पशु नहीं है। यदि यहां पर पशु रहें तो जान बचना मुश्किल है।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 03 Aug 2020 06:33 PM (IST) Updated:Mon, 03 Aug 2020 06:33 PM (IST)
यहां पशु रहें तो जान बचना मुश्किल..!
यहां पशु रहें तो जान बचना मुश्किल..!

संत कबीरनगर : बेसहारा पशुओं को सहारा देने के लिए शासन की पहल पर जिले के सेमरियावां ब्लाक का ग्राम पंचायत ऊचहराकला में वर्ष 2018 में कठिनइयां नदी के तट के पास अस्थायी गो-आश्रय केंद्र बना दिया गया। संयोग अच्छा है कि पानी से डूबे इस गो-आश्रय केंद्र पर वर्तमान में एक भी पशु नहीं है। यदि यहां पर पशु रहें तो जान बचना मुश्किल है।

जब गो-आश्रय स्थल के लिए भूमि का चयन हो रहा था, तभी ग्रामीण यहां पर इसकी स्थापना को लेकर मुखर हुए थे। इसके बाद भी इस ब्लाक के बीडीओ ने नदी के तलहटी की भूमि पर प्रस्ताव बनवाकर गो आश्रय केंद्र का निर्माण करवा दिया। ऐसा करके लाखों रुपये बर्बाद कर दिये। प्रशासन को दिखाने के लिए ब्लाक कर्मचारियों ने एक वर्ष पहले यहां पर दस पशुओं को लाकर रख दिया। कुछ दिनों बाद जब नदी के पानी से गो-आश्रय केंद्र जलमग्न हो गया था। इस पर ब्लाक कर्मचारियों ने आनन-फानन में पशुओं को जिगिना गांव स्थित स्थायी गो-आश्रय केंद्र में भेज दिये। तब से यहां पर एक भी पशु नहीं हैं। स्थानीय लोगों ने जांच कर गो-आश्रय के नाम पर धन बर्बाद करने वाले अधिकारियों व कर्मचारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई किए जाने की मांग की है। कई बार संपर्क करने पर भी बीडीओ-सेमरियावां आरके चतुर्वेदी ने काल रिसीव नहीं किया। वहीं डीएम रवीश गुप्त ने कहा कि वे इसके बारे में जानकारी प्राप्त करके उचित कार्रवाई अवश्य करेंगे।

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