सार्थक पहल हो तो लाखों लोगों को मिल सकता है लाभ

..तो इसलिए कबीर विज्ञान आश्रम नाम पड़ा।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 20 Apr 2021 11:45 PM (IST) Updated:Tue, 20 Apr 2021 11:45 PM (IST)
सार्थक पहल हो तो लाखों लोगों को मिल सकता है लाभ
सार्थक पहल हो तो लाखों लोगों को मिल सकता है लाभ

संतकबीर नगर: खलीलाबाद ब्लाक मुख्यालय से 30 किमी दूरी पर पौली ब्लाक के पचरा गांव में स्थित कबीर विज्ञान आश्रम। करीब 100 साल पहले यहां पर स्थानीय के अलावा गैर जनपदों से जड़ी-बूटी से इलाज कराने के लिए तमाम मरीज आते थे। पांच दशक से यह अति महत्वपूर्ण आश्रम उपेक्षित है। आलम यह है कि आने-जाने के लिए सड़क तक ठीक नहीं है। क्षेत्र के धर्मराज, जवाहिर आदि लोगों का कहना है कि कबीर विज्ञान आश्रम सदियों पुराना है। यहां पर कबीरपंथियों का सत्संग स्थल भी है। बुजुर्ग बताते हैं कि करीब एक सौ साल पहले तक यहां पर जड़ी-बूटी से निर्मित औषधियों से जटिल से जटिल बीमारियों का इलाज किया जाता था। अंबेडकरनगर, मिर्जापुर, बस्ती सहित अन्य जनपदों के मरीज यहां पर आते रहे हैं। इसी क्षेत्र के कबीरपंथी सुमिरनदास की यह तपोस्थली भी रही है। यदि जन प्रतिनिधि आयुर्वेद से इलाज के लिए विख्यात कबीर विज्ञान आश्रम के लिए सार्थक पहल करें और इसका विकास कराएं तो यह क्षेत्रवासियों के स्वास्थ्य के ²ष्टिकोण से काफी फायदेमंद साबित होगा। .........

..तो इसलिए कबीर विज्ञान आश्रम नाम पड़ा

क्षेत्र के सुधाकर नायक, राम अचल आदि लोगों का कहना है कि यहां पर जड़ी-बूटी से विभिन्न रोगों के निदान के लिए शोध होता था। इससे गंभीर बीमारियों का इलाज आसानी से हो जाता था। इसके साथ ही कबीरपंथियों की आस्था का स्थल होने की वजह से इसका नाम कबीर विज्ञान आश्रम पड़ा। आयुर्वेद से इलाज के लिए अति महत्वपूर्ण स्थल के रूप में यह विख्यात हुआ।

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जो लोगों की सेहत से जुड़ा है, उसी की उपेक्षा ठीक नहीं पौली के राममिलन यादव और रामचरण ने कहा कि कबीर विज्ञान आश्रम लोगों की सेहत की सुरक्षा के लिए अति महत्वपूर्ण स्थान है। इसकी उपेक्षा कदापि ठीक नहीं है। इसके लिए स्थानीय जन प्रतिनिधि को सार्थक पहल करनी चाहिए। इसके विकास के लिए शासन व प्रशासन को भी आगे आना चाहिए।

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