फल और सब्जी पर महंगाई की मार

पिछले एक हफ्ते में फलों और सब्जियों के दामों में तेजी आई है।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 10 Jun 2021 08:35 PM (IST) Updated:Thu, 10 Jun 2021 08:35 PM (IST)
फल और सब्जी पर महंगाई की मार
फल और सब्जी पर महंगाई की मार

संतकबीर नगर : कोरोना के इस दौर में सब्जी पर महंगाई की मार पड़ी है। लोगों को उम्मीद थी कि सीजन के समय में फलों और सब्जियों के दाम में कुछ गिरावट आएगी मगर ऐसा नहीं हुआ। पिछले एक हफ्ते में फलों और सब्जियों के दामों में तेजी आई है। थोक और फुटकर दोनों ही श्रेणी के दाम बढ़े होने से आमजन परेशान है। आलू-प्याज के साथ हरी सब्जियों के दाम भी लगभग डेढ़ गुना बढ़ गए हैं। वहीं फलों के दाम भी बढ़े होने से यह आम आदमी की पहुंच से दूर है।

सेमरियावां बाजार में आलू 20 रुपये, प्याज 30 रुपये, बैंगन 40 रुपये, करेला 60 रुपये, गोभी 40 रुपये, भिडी 40 रुपये, परवल 80 रुपये और टमाटर 30 रुपये प्रति किलोग्राम बिक रहा है। वहीं फलों की गुणवत्ता को देखते हुए अलग-अलग दाम तय किए गए हैं। जिसमें आम 50 से 80 रुपये, तरबू•ा 25 से 30 रुपये, केला 40 से 50 रुपये दर्जन, सेब 120 से 160 रुपये, अनार 80 से 120 रुपये, लीची 60 से 80 रुपये, पपीता 30 से 50 रुपये प्रति किलोग्राम बिक रहा है। क्या कहते हैं सब्जी विक्रेता

ठेला पर सब्जी बेचने वाले नौशाद अहमद कहते हैं कि मंडी में थोक पर ही सब्जी महंगी मिल रही है। क्षेत्र में फेरी लगाकर फुटकर में सब्जी बेचकर परिवार चलाना कठिन हो गया है। राममुरत भी फुटकर में सब्जी बेचते हैं। वह बताते हैं कि पिछले एक सप्ताह से मंडी में सब्जी मंहगी मिल रही है। लोगों से सब्जियों की कीमत अधिक बताने पर कुछ लोग भड़क जा रहे हैं। थोक और फुटकर में नाममात्र का अंतर रह गया है। फलों की बिक्री से जुड़े अजय कुमार कहते हैं कि क्षेत्र में ज्यादातर फलों की आपूर्ति दूसरे राज्यों से होती है। मौसम में बदलाव, परिवहन में अधिक खर्च और मंडी शुल्क समेत कई अन्य खर्चे बढ़ जाने का असर फलों के दाम पर पड़ा है। क्या कहती हैं गृहणियां

सेमरियावां की रहने वाली सुमन कहती हैं कि कुछ दिनों से ऊंचे दामों पर सब्जियों का बिकना समझ से परे है। मीना कहती हैं कि दुकानदारों द्वारा मनमाना भाव वसूला जा रहा है। ऐसे लोगों पर प्रशासन का किसी शिकंजा नहीं होने से महंगाई बढ़ रही है। गृहणी सारिका और ममता कहती हैं कि मध्यमवर्गीय और उससे निचले स्तर के परिवारों की अर्थव्यवस्था चरमराई हुई है। ऐसे में प्रशासन को रोजमर्रा के सामान के भाव में तेजी को नियंत्रित करने के लिए सार्थक कदम उठाने चाहिए।

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