बीमार बच्चों से भरा अस्पताल, परेशान हैं तीमारदार

मजबूर होकर चिकित्सकों ने इन्हें मेडिकल कालेज के लिए रेफर किया जा रहा है।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 25 Sep 2021 11:36 PM (IST) Updated:Sat, 25 Sep 2021 11:36 PM (IST)
बीमार बच्चों से भरा अस्पताल, परेशान हैं तीमारदार
बीमार बच्चों से भरा अस्पताल, परेशान हैं तीमारदार

संतकबीरनगर : जिला अस्पताल के बेड बीमार बच्चों से भरा पड़े हैं। हाल यह है कि हर दिन यहां सौ से अधिक संख्या में ऐसे बच्चे इलाज के लिए लाए जा रहे हैं जिन्हें भर्ती करने की आवश्यकता है। मजबूर होकर चिकित्सकों ने इन्हें मेडिकल कालेज के लिए रेफर किया जा रहा है। सभी बच्चों को बुखार, जुकाम, सर्दी, खांसी के साथ ही अन्य समस्याएं हैं। बच्चों के साथ आने वाले तीमारदार परेशान हो रहे हैं, उन्हें यह नहीं सूझ रहा है कि वह क्या करें।

बुखार से पीड़ित मरीजों से जिला अस्पताल का पीडियाट्रिक वार्ड पूरी तरह से भर चुका है। एक बेड पर दो-दो बच्चों को भती करने के बाद भी मरीजों की संख्या कम नहीं हो रही है। अस्पताल की व्यवस्था अब चरमराने लगी है। शनिवार को पीआइसीयू वार्ड में भर्ती लोहरसन के बच्चे के पिता बबलू ने बताया कि दो दिन से यहां पर बच्चे का इलाज करवा रहा रहूं। बाहर से दवा खरीदकर बच्चे को दे रहा हूं। वनकटिया गावं के सोनू मौर्य और बलुआ सोनौरा के इंद्रजीत ने बताया कि एक ही बेड पर दो-दो बच्चों का उपचार किया जा रहा है। यहां हर दिन इतने बच्चे आ रहे हैं कि जिम्मेदार भी क्या करें। हर बच्चा गंभीर होता है। वह लोग पिछले पांच दिन से अस्पताल में बच्चे के साथ रह रहे हैं। यह है जिला अस्पताल में संसाधन

जिला अस्पताल में बच्चों को भर्ती करने के लिए 30 सामान्य बेड के साथ ही गंभीर बच्चों के लिए पीडियाट्रिक इंटेशिव केयर यूनिट पीआइसीयू वार्ड में 24 बेड हैं। दोनों वार्ड में एक बेड पर दो-दो बच्चों को भर्ती किया गया है। बेड की उपलब्धता नहीं होने से अब यहां आने वाले मरीजों को रेफर कर दूसरे अस्पतालों को भेजा जा रहा है। इससे गरीब और संसाधन विहीन परिवार के लोगों को समस्या का सामना करना पड़ रहा है। बीमार बच्चों के इलाज की जिम्मेदारी बाल रोग विशेषज्ञ डा. सुनील कुमार, डा. देवेंद्र प्रताप, डा. सोहन गुप्ता द्वारा संभाली जा रही है। मरीजों की संख्या अधिक होने से चिकित्सकों की सेवा भी समय से लोगों को नहीं मिल पा रही है। बाहर से दवाएं खरीदकर लाने का आरोप

वार्ड में भर्ती बच्चों के स्वजन राजेश, पुष्पा, मालती समेत अनेक लोगो ने बताया कि उन्हें अधिकतर दवाएं बाहर से ही खरीकर लानी पड़ रही है। यहां पर उपचार के नाम पर सिर्फ दिखावा चल रहा है। सरकारी स्तर से दवाएं नहीं मिलने से इलाज काफी मंहगा साबित हो रहा है। क्या कहते हैं जिम्मेदार

रोगी सहायता केंद्र के प्रबंधक शिवेंद्र तिवारी ने बताया कि बीते एक सितंबर से 24 सितंबर तक कुल 18 सौ बीमार बच्चे अस्पताल की ओपीडी में आए। इसमें छह सौ गंभीर रूप से बीमार बच्चों को भर्ती कर इलाज किया गया। बेड खाली नहीं होने से दो सौ को रेफर भी किया गया। एक बेड पर दो बच्चों को भर्ती करके भी लोगों को राहत देने का प्रयास किया जा रहा है। बीमार बच्चों से अस्पताल भरा है। किसी को कोई दिक्कत न होने पाए इसका प्रयास किया जा रहा है। अधिकतर मरीजों को अस्पताल की दवा मिल रही है। बाहर से दवा खरीदने की जानकारी नहीं है। इसके बाद भी यदि किसी को समस्या है तो वह बताए उसकी व्यवस्था की जाएगी।

डा. ओपी चतुर्वेदी, मुख्य चिकित्सा अधीक्षक

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