दूसरे दिन भी खलीलाबाद में जमी रही गोरखपुर की पुलिस

संतकबीर नगर गोरखपुर शहर के पांडेय हाता में मंगलवार को अमृतसर के स्वर्ण कारोबारी के साथ लूट की घटना में शामिल बदमाशों की पहचान के लिए लगातार दूसरे दिन गुरुवार को भी गोरखपुर की पुलिस खलीलाबाद में जमी रही।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 04 Mar 2021 11:09 PM (IST) Updated:Thu, 04 Mar 2021 11:09 PM (IST)
दूसरे दिन भी खलीलाबाद में जमी रही गोरखपुर की पुलिस
दूसरे दिन भी खलीलाबाद में जमी रही गोरखपुर की पुलिस

संतकबीर नगर: गोरखपुर शहर के पांडेय हाता में मंगलवार को अमृतसर के स्वर्ण कारोबारी के साथ लूट की घटना में शामिल बदमाशों की पहचान के लिए लगातार दूसरे दिन गुरुवार को भी गोरखपुर की पुलिस खलीलाबाद में जमी रही।

गोरखपुर पुलिस ने खलीलाबाद के सराफा कारोबारियों की दुकानों पर लगे सीसी कैमरे की फुटेज खंगाला और साथ लेकर चली गई ।

पंजाब प्रांत के अमृतसर निवासी स्वर्ण कारोबारी सुरेंद्र सिंह के साथ हुई लूट की घटना में प्रयुक्त स्कूटी के खलीलाबाद में भी दिखने को लेकर पुलिस अपराधियों का तार संतकबीर नगर में भी तलाश रही है। दिन में लगभग 11 बजे गोरखपुर जनपद के पांडेय हाता चौकी प्रभारी अरुण सिंह, एसओजी प्रभारी चंद्रभान सिंह, संतकबीर नगर के एसओजी प्रभारी अजय सिंह ने संयुक्त रूप से खलीलाबाद के गोला बाजार, बैंक चौराहा, मुखलिसपुर तिराहा व कस्बे के स्वर्ण कारोबारियों की दुकानों पर पहुंचकर जांच की। स्वर्ण कारोरियों की दुकानों के सीसी कैमरे के फुटेज भी पुलिस ने लिया। दोपहर में आजमगढ़ जनपद की पुलिस टीम भी साथ शामिल हो गई। एसपी डा. कौस्तुभ ने कहा कि गोरखपुर व आजमगढ़ की पुलिस के साथ समन्वय स्थापित करके बदमाशों की तलाश का कार्य हो रहा है। गांजा रखने के दोषी को 26 माह की सजा

संतकबीर नगर : विशेष न्यायाधीश जैनुद्दीन अंसारी ने गुरुवार को गांजा रखने के दोषी को 26 माह के कारावास व पांच हजार रुपये अर्थदंड से दंडित किया है।

अभियोजन पक्ष के अनुसार 14 अक्टूबर 2018 को महुली थानाक्षेत्र के तत्कालीन निरीक्षक प्रदीप कुमार सिंह अपने हमराहियों के साथ नाथनगर चौराहे पर मौजूद थे। उसी समय बस्ती जिले के छावनी थानाक्षेत्र के रेड़वल निवासी राजकुमार व मनोज कुमार हाथ में झोला लिए दिखाई दिए। तलाशी में प्रत्येक के पास से 1200 ग्राम गांजा मिला। घटना के बाद से ही आरोपित जिला कारागार में बंद हैं। मनोज कुमार के द्वारा जुर्म स्वीकारोक्ति का प्रार्थना पत्र देकर कम से कम सजा देने की मांग की गई थी। दोषी के द्वारा जेल में बिताए गई अवधि उक्त सजा में समायोजित की जाएगी।

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