संतकबीर नगर :अस्पतालों में सुविधाएं नदारद, खतरे में मरीजों की जान

संतकबीर नगरकोरोना से हो रही मौतों और लगातार बढ़ रहे मरीजों को देखते हुए पर्याप्त आक्सीजन युक्त सिलेंडर की सख्त आवश्यकता है। जिले में सिर्फ सरकारी अस्पतालों को इसकी आपूर्ति की जा रही है निजी अस्पतालों को नहीं।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 11 May 2021 11:34 PM (IST) Updated:Tue, 11 May 2021 11:34 PM (IST)
संतकबीर नगर :अस्पतालों में सुविधाएं नदारद, खतरे में मरीजों की जान
संतकबीर नगर :अस्पतालों में सुविधाएं नदारद, खतरे में मरीजों की जान

संतकबीर नगर:कोरोना से हो रही मौतों और लगातार बढ़ रहे मरीजों को देखते हुए पर्याप्त आक्सीजन युक्त सिलेंडर की सख्त आवश्यकता है। जिले में सिर्फ सरकारी अस्पतालों को इसकी आपूर्ति की जा रही है, निजी अस्पतालों को नहीं। ऐसे में निजी अस्पताल में मरीज का आक्सीजन लेवल कम होने की दशा में डाक्टर उनको सरकारी अस्पताल के लिए रेफर कर देते हैं। कोई जिला अस्पताल पहुंचकर तो कोई रास्ते में दम तोड़ दे रहा है।

जनपद की आबादी लगभग 20 लाख है। इसके सापेक्ष केवल जिला अस्पताल के एल-वन व एल-टू वार्ड में कोरोना पीड़ितों का इलाज किया जाता है। जिला प्रशासन का दावा है कि यहां पर आक्सीजन सुविधायुक्त 150 बेड हैं। लेकिन इस अस्पताल का बुरा हाल है। यहां पर किसी की बेड के अभाव में तो किसी को समय से आक्सीजन, दवा व चिकित्सकीय सुविधा न मिलने से मौत हो जा रही है। कोरोना पीड़ित मरीजों का उपचार डाक्टर की बजाय वार्ड ब्वाय, स्टाफ नर्स के भरोसे चल रहा है।

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मंडल में सबसे अधिक बस्ती को दे रहे आक्सीजन सिलेंडर

नगर पंचायत मगहर स्थित मयूर गैस प्लांट से बस्ती मंडल के तीन जनपदों को रोजाना आक्सीजन सिलेंडर की आपूर्ति की जा रही है। मंडल में सबसे अधिक बस्ती जनपद को प्रतिदिन 650 वहीं सिद्धार्थनगर व संतकबीरनगर को डेढ़-डेढ़ सौ आक्सीजन सिलेंडर की आपूर्ति की जा रही है। इस जिले में सिर्फ सरकारी अस्पताल को आक्सीजन सिलेंडर मिल रहे हैं।

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बिजली कटने पर आक्सीजन के उत्पादन पर असर

मयूर गैस प्लांट में आक्सीजन तैयार करने के लिए दो प्रकार के प्लांट हैं। पहला-एअर सेपरेटर यूनिट (एएसयू) अर्थात हवा से आक्सीजन तैयार करने वाली इकाई है। वहीं लिक्विड मेडिकल आक्सीजन (एलएमओ) से चार गुना तेजी से सिलेंडर में आक्सीजन भरता है। विशेषकर दुर्गापुर-बोकारो, राउरकेला आदि जगहों से एलएमओ इस प्लांट में आता है। महत्वपूर्ण बात यह है कि बिजली कट जाने पर आक्सीजन का उत्पादन कम से कम एक घंटा के लिए प्रभावित हो जाता है।

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