इलाज के अभाव में मर गया कोरोना संक्रमित युवक

डा. मोहन झा प्रभारी सीएमओ ने बताया कि युवक की हालत गंभीर हो गई थी। वेंटिलेटर संचालित करने वाला कोई था नहीं। बाद में मरीज के स्वजन उसे लेकर गोरखपुर चले गए। ऐसी स्थिति में उसे बाहर नहीं ले जाना चाहिए था। घटना का उन्हें बहुत दुख है कि पंकज को बचाया नहीं जा सका।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 21 Apr 2021 11:20 PM (IST) Updated:Wed, 21 Apr 2021 11:20 PM (IST)
इलाज के अभाव में मर गया कोरोना संक्रमित युवक
इलाज के अभाव में मर गया कोरोना संक्रमित युवक

संतकबीर नगर : खलीलाबाद के घटरमा का 35 वर्षीय पंकज पांडेय इलाज के अभाव में दम तोड़ दिया। चार दिन पहले वह कोरोना संक्रमित हुआ था। दो दिन पूर्व उसे जिला अस्पताल में बने कोरोना वार्ड में भर्ती कराया गया था। बीते मंगलवार की रात में उसे सांस लेने में दिक्कत महसूस हुई तो अस्पताल में मौजूद वेंटिलेटर संचालित करने वाला कोई नहीं था। उसे ठीक से आक्सीजन नहीं मिल पा रही थी। वह वार्ड में चीख रहा था और अस्पताल के बाहर उसका परिवार बेबस था। बुधवार की सुबह इलाज के अभाव में उसने दम तोड़ दिया।

पंकज के भाई राजीव पांडेय ने अस्पताल प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाया है। कहा कि उनके भाई को अस्पताल में आक्सीजन नहीं मिला। समय रहते यदि उसे इलाज मिल गया होता तो आज वह हमारे बीच होता। उन्होंने कहा कि रात करीब 10 बजे उसने उन्हें फोन किया कि उसे सांस लेने में दिक्कत हो रही है। इसकी सूचना उन्होंने जिले के जिम्मेदार अधिकारियों के साथ ही स्वास्थ्य विभाग से जुड़े लोगों को दी। बाद में कोरोना वार्ड में मौजूद चिकित्सक ने बताया कि वार्ड में वैंटिलेटर तो है लेकिन उसे चलाने वाला कोई नहीं है। इसलिए आप अपने भाई को तत्काल यहां से कहीं और लेकर चले जाइए। रात में वह गंभीर स्थिति में अपने भाई को लेकर गोरखपुर गए लेकिन वहां भी कहीं उसे भर्ती नहीं किया गया। तीन घंटे बाद वह पुन: जिला अस्पताल के कोरोना वार्ड में पहुंचे, और जिम्मेदारों से भाई का इलाज करने की गुहार लगाई। राजीव कहते हैं कि उनका सब कुछ खत्म हो गया है। समय से उनके भाई को आक्सीजन मिल जाता तो आज वह हमारे बीच होता।

डा. मोहन झा, प्रभारी सीएमओ ने बताया कि युवक की हालत गंभीर हो गई थी। वेंटिलेटर संचालित करने वाला कोई था नहीं। बाद में मरीज के स्वजन उसे लेकर गोरखपुर चले गए। ऐसी स्थिति में उसे बाहर नहीं ले जाना चाहिए था। घटना का उन्हें बहुत दुख है कि पंकज को बचाया नहीं जा सका।

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