निर्जल व्रत रखकर महिलाओं ने मांगा अक्षय सुहाग का वरदान
सुहागिनों ने रखा निर्जल व्रत चलनी की ओट से चांद का किया दीदार
संतकबीर नगर : करवाचौथ रविवार को परंपरागत ढंग से मना। सुहागिनों ने निर्जल व्रत रखकर पूजन-अर्चन किया। पौराणिक कथा सुनकर महिलाएं रात्रि में चंद्रमा के उदित होने पर अर्घ्य देकर विघ्नेश्वर की पूजा कर अमर सुहाग की प्रार्थना की। साथ ही परिवार में सुख, समृद्धि, स्वास्थ्य रक्षा की कामना की।
व्रती रात में गणेश-गौरी, शिव-शिवा और कार्तिकेय का पूजन करने के उपरांत चंद्रमा को अर्घ्य देकर चलनी की ओट से चांद व पति को देखकर आशीष मांगा।
खलीलाबाद शहर के समय माता मंदिर, दुर्गा मंदिर, श्रीलक्ष्मी नारायण मंदिर गोला बाजार आदि स्थानों पर स्थित मंदिरों में पूजन का सिलसिला देर शाम तक चलता रहा। व्रत के लिए महिलाओं ने घरों की साफ-सफाई कर नैवेहा चावल के आटे का करवा तैयार कर रखा था। कुछ स्थानों पर करवा बनाने के बाद सिघोरा व लठ पकड़ कर आंगन में परिक्रमा की। लोकाचार के अनुसार कहीं चौदह, कहीं 10 तो कहीं चार करवा बनाया गया। रात में चंद्रोदय होने पर अर्घ्य देकर पति के दीर्घायु, संतान के जीवन में सुख-शांति और परिवार के कल्याण की प्रार्थना हुई। सुहागिनों के लिए करवाचौथ व्रत सबसे अहम है। करक चतुर्थी के दिन सिर्फ निर्जल-निराहार व्रत ही नहीं सुखद व सौभाग्य का अनुभूति भी है। व्रती महिलाओं ने गजानन भगवान श्रीगणेश से पति की लंबी उम्र मांगा। सुहागिनों ने भविष्य में होने वाली अनिष्ट के समूल नाश की प्रार्थना की। समय व संस्कृति के बदलते क्रम में तौर-तरीके बदले लेकिन आस्था व विश्वास में कोई परिवर्तन नहीं है। सुहाग के लिए किया श्रृंगार
करवा चौथ पर महिलाओं ने 16 श्रृंगार किया। सामर्थ्य के अनुसार मेंहदी आदि रचाकर मंगल कामना हुई। पर्व पर महिलाओं ने तू मेरा चांद, मैं तेरी चांदनी का भाव दिखाते हुए अपने सुहाग व सजना के लिए श्रृंगार किया। मेंहदी रचाकर चांद का इंतजार किया। घरों में दिन भर कथा-कहानी तो राग-रागिनी का सिलसिला चलता रहा।