मां लक्ष्मी-गणेश की प्रतिमा संवारने में जुटे कलाकार

असतो मां सदगमय तमसो मां ज्योर्तिगमय पर आधारित दीप पर्व के आवागमन को लेकर तैयारियां चल रही हैं। कलाकारों ने मां लक्ष्मी-श्रीगणेश की प्रतिमाओं को पूर्ण करने में दिन-रात एक कर दिए हैं। ये प्रतिमाओं को संवारकर भव्य रुप देने में लगे हैं। वहीं आयोजक अग्रिम बुकिग करके प्रतिमा बनवा रहे हैं।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 17 Oct 2019 10:12 PM (IST) Updated:Fri, 18 Oct 2019 06:22 AM (IST)
मां लक्ष्मी-गणेश की प्रतिमा संवारने में जुटे कलाकार
मां लक्ष्मी-गणेश की प्रतिमा संवारने में जुटे कलाकार

संतकबीर नगर: असतो मां सदगमय तमसो मां ज्योर्तिगमय पर आधारित दीप पर्व के आवागमन को लेकर तैयारियां चल रही हैं। कलाकारों ने मां लक्ष्मी-श्रीगणेश की प्रतिमाओं को पूर्ण करने में दिन-रात एक कर दिए हैं। ये प्रतिमाओं को संवारकर भव्य रुप देने में लगे हैं। वहीं आयोजक अग्रिम बुकिग करके प्रतिमा बनवा रहे हैं।

खलीलाबाद शहर के तीन स्थानों के अलावा सांथा,धनघटा,हैंसर,बखिरा, मेंहदावल, दशहरा, सेमरियावा, नाथनगर आदि स्थानों पर स्थानीय कलाकारों मां लक्ष्मी- श्रीगणेश की प्रतिमाओं को बनाने-संवारने में लगे हुए हैं। कलाकार इसमें अपनी कला का बेहतर प्रदर्शन कर रहे हैं। मिट्टी से अलग-अलग आकृतियों की प्रतिमाएं बनाई जा रही हैं। एचआरपीजी खलीलाबाद के पास प्रतिमा बनाने वाले कलाकार बब्लू ने कहा कि वे चार सहयोगी कलाकारों के साथ दो दर्जन प्रतिमाएं तैयार कर लिए हैं। इसका दर चार हजार रुपये से लेकर 10,000 रुपये तक है। इसे बनाने में 25 सौ रुपये से लेकर आठ हजार रुपये खर्च आता है। दशहरा के रामनरेश पाल ने बताया कि एक प्रतिमा बनाने में छह से दस दिन का समय लगता है। मूर्ति कला से जुड़े कलाकारों ने बताया कि प्रतिमा बनाने में वेश व शारीरिक ढांचा पर ज्यादा ध्यान दिया जाता है। साज-सज्जा व अच्छे रंगों का चयन कर प्रतिमाओं को आकर्षक रुप दिया जाता है। साज-सज्जा की कीमत बढ़ने से इसकी भी लागत बढ़ती जा रही है। श्रद्धालुओं की श्रद्धा का यह परिणाम है कि दर बढ़ने पर भी इसकी मांग में कोई अंतर नहीं आया है।

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