मंडी समिति के सामने लगा जाम, किसानों को हुई दिक्कत
जेएनएन बहजोई कृषि उत्पादन मंडी समिति परिसर में मुख्य सड़क पर कई बार जाम की स्थिति बन जाने से ट्रैक्टर ट्राली टाटा मैजिक डनलप आदि फंस गए। जिन्हें अपने गंतव्य तक पहुंचने के लिए बहुत मशक्कत करनी पड़ी। यह स्थिति पिछले कई दिनों से चली आ रही है।
जेएनएन, बहजोई: कृषि उत्पादन मंडी समिति परिसर में मुख्य सड़क पर कई बार जाम की स्थिति बन जाने से ट्रैक्टर ट्राली, टाटा मैजिक, डनलप आदि फंस गए। जिन्हें अपने गंतव्य तक पहुंचने के लिए बहुत मशक्कत करनी पड़ी। यह स्थिति पिछले कई दिनों से चली आ रही है।
मंगलवार को मंडी समिति परिसर में आढ़त पर ग्रामीण क्षेत्र के किसान अपने ट्रैक्टर ट्राली, टेंपों, ई- रिक्शा, बैल डनलप में धान भरकर मंडी पहुंचने लगे। मंडी में दुकानों पर व्यापारियों व किसानों के लिए जाम भारी परेशानी का सबब बन गया। मंडी परिसर में कई बार ट्रैक्टर ट्राली, टैंपो, ई रिक्शा, बैल डनलप आदि के निकलने अथवा अपने गंतव्य को जल्दी पहुंचने के चक्कर में सड़क पर जाम लग जा रहा है। किसान खेम सिंह ने बताया कि वह सुबह आठ बजे के लगभग अपनी ट्रैक्टर ट्राली में बाजरा भरकर लाया था, लेकिन उसका ट्रैक्टर जाम में फंस गया और दोपहर तीन बजे बाद आढ़ती की दुकान पर पहुंच सका। यह स्थिति प्रत्येक दिन की है। पुलिस भी इस तरफ कोई ध्यान नहीं दे रही है।
मंडी परिसर में नहीं रहती पुलिस व्यवस्था
हर साल धान के सीजन में घंटों लगने वाले जाम से हर रोज किसानों और व्यापारियों को दो-चार होना पड़ता है। जिस कारण मंडी परिसर में पुलिस कर्मियों की ड्यूटी नहीं लगना बताया जा रहा है। जाम से जूझते लोगों को कहना है कि पुलिस व्यवस्था होती तो शायद हमें जाम से जूझना नहीं पड़े।
आढ़ी तिरछी ट्रैक्टर ट्राली लगाने से लगता है जाम
मंडी परिसर में दूरदराज ग्रामीण क्षेत्रों से आने वाले ट्रैक्टर ट्राली के चालकों द्वारा एक साथ दो से तीन लाइन लगाने के अलावा आढ़ी तिरछी ट्रैक्टर ट्राली लगा दिए जाने से जाम लग जाता है। जिससे उधर से पैदल चलने वाले लोगो के अलावा साइकिल सवारों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ता है।
धान तुलवाने के लिए किसानों को लगते है दो से चार घंटे
कृषि उत्पादन मंडी परिसर में धान बेचने के लिए किसानों को हर रोज जाम लग जाने के कारण दो से चार घंटे तक इंतजार करना पडता है। पहले उन्हें भरी ट्राली धर्म कांटे पर तुलवाने के लिए मंडी परिसर से बाहर जाना पड़ता है। उसके बाद दुकान पर धान उतारने के बाद दोबारा खाली ट्राली को कांटे पर तुलवाने के जाना पड़ता है।