कागज में कोविड एल टू अस्पताल : बीत रही पहली लहर, दूसरी की आशंका

राघवेंद्र शुक्ल सम्भल हाल फिलहाल सम्भल में कोरोना थमा है या आंकड़ा कम है यह तो बाद का सवाल है।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 23 Oct 2020 12:28 AM (IST) Updated:Fri, 23 Oct 2020 12:28 AM (IST)
कागज में कोविड एल टू अस्पताल : बीत रही पहली लहर, दूसरी की आशंका
कागज में कोविड एल टू अस्पताल : बीत रही पहली लहर, दूसरी की आशंका

राघवेंद्र शुक्ल, सम्भल : हाल फिलहाल सम्भल में कोरोना थमा है या आंकड़ा कम है यह तो बाद का सवाल है लेकिन एल टू अस्पताल का अब तक न बनना जरूर बड़ा सवाल खड़ा कर रहा है। अब तक मुरादाबाद और अमरोहा के एल टू अस्पताल के जरिए अपने मरीजों का इलाज कराने वाले सम्भल स्वास्थ्य विभाग ने कागजों में जरूर एल टू अस्पताल बना रखा है। हाल यह है कि नरौली सीएचसी को एल टू बनाया गया लेकिन, अब तक यहां एक भी मरीज भर्ती नहीं हो सका है। अब विभाग ने निजी क्षेत्र के अस्पतालों को भी एल टू बनाने की प्रक्रिया शुरू की है लेकिन, इन निजी अस्पतालों में एक दिन का खर्च 10 से 15 हजार रुपये हो सकता है। ऐसे में यदि वह कोरोना संक्रमित हुए तो कई की जमीनें भी बिकेंगी और मकान भी। अभी कोरोना की दूसरी लहर बची है। आइसीएमआर ने लगातार चेतावनी जारी की है। यहां तक कि प्रधानमंत्री ने भी जब तक दवाई नहीं, तब तक ढिलाई नहीं..के जरिए सबको चेताया है।

12 अप्रैल को जनपद में कोरोना का पहला मरीज सामने आया और 13 अप्रैल को पहली मौत हुई। उस समय इस बीमारी को लेकर विभाग भी असमंजस में था। पहले पहल तो मरीज अमरोहा और मुरादाबाद भेजे गए फिर मई में नरौली सीएचसी को एल वन अस्पताल बना दिया गया। यहां जब चार कर्मचारी कोरोना पॉजिटिव आए तो अस्पताल बंद हुआ और अब तक बंद ही है। जून माह में बहमन जहरा सिरसी अस्पताल को एल-वन बनाया गया और इसे 250 बेड का बना दिया गया। बिना लक्षण वाले मरीजों को इसमें रखा गया जबकि गंभीर मरीज मुरादाबाद या रामपुर रेफर हुए। इसके बाद भी अब तक एल टू अस्पताल नहीं बनाया जा सका। शासन को जाती है एल टू की रिपोर्ट

स्वास्थ्य विभाग शासन को जो रिपोर्ट भेजता है उसमें एल टू अस्पताल का उल्लेख है। 30 बेड के इस अस्पताल को एल टू बताया जाता है लेकिन इस अस्पताल में न मरीज हैं न डाक्टरों की तैनाती है। ऐसे में अस्पताल पूरी तरह से कागजों में ही है। एनेस्थेटिक और चेस्ट फिजिशियन की कमी

एल टू अस्पताल न बनने का सबसे बड़ा कारण चिकित्सकों की कमी माना जा रहा है। यहां के सरकारी अस्पतालों में डॉक्टरों की कमी है। जनपद मे एनेस्थेसिया विशेषज्ञ तथा चेस्ट रोग विशेषज्ञ नहीं हैं। ऐसे में यदि अस्पताल बना भी दिया जाए तो वह तब तक बेहतर नहीं होगा जब तक कि इन दोनों पदों पर तैनाती न हो जाए। एल टू अस्पताल के मानक

- वेंटीलेटर की व्यवस्था

- आक्सीजन सिलेंडर की पर्याप्त उपलब्धता

- चेस्ट फिजिशियन की तैनाती

- एनेस्थेसिया की तैनाती

- तीन शिफ्ट में डयूटी तो तीन-तीन विशेषज्ञ की तैनाती

- एंबुलेंस व स्ट्रेचर की व्यवस्था

- आबादी से दूर और दिन में चार से पांच बार सैनिटाइजेशन की व्यवस्था

- पीपीई किट की पर्याप्त उपलब्धता एल टू अस्पताल बनाने की प्रक्रिया चल रही है। सीएचसी नरौली को एल टू बनाया गया है। यहां चिकित्सकों की तैनाती का प्रयास किया जा रहा है। विशेषज्ञ चिकित्सकों की कमी की वजह से थोड़ा देर हो रहा है। निजी अस्पतालों से भी वार्ता चल रही है। जल्द ही एलटू अस्पताल के निर्माण की दिशा में काम कर लिया जाएगा।

- डॉ. मनोज कुमार, नोडल अधिकारी स्वास्थ्य विभाग सम्भल

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