जिला अस्पताल से रेफर कोविड संक्रमित को थमा दिया 2.15 लाख का बिल

कोरोना बीमारी अवसर बन चुकी है कमाने खाने का। कुछ इंजेक्शन ब्लैक कर रहे हैं तो कुछ आक्सीमीटर आक्सीजन फ्लोमीटर आक्सीजन सिलिडर। मरीज आर्थिक शोषण से बेहाल हैं। बुधवार को चन्दौसी रोड स्थित निजी एल टू अस्पताल से भी एक ऐसा ही मामला सामने आया। जिला अस्पताल से रेफर कोरोना संक्रमित से पहले तो एक लाख रुपये की दवा व इंजेक्शन खरीदवाया गया फिर डिस्चार्ज के नाम पर 2.15 लाख का बिल थमा दिया गया। संक्रमित के भाई ने हल्ला मचाया तो भाई डिस्चार्ज हुआ।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 20 May 2021 12:52 AM (IST) Updated:Thu, 20 May 2021 12:52 AM (IST)
जिला अस्पताल से रेफर कोविड संक्रमित को थमा दिया 2.15 लाख का बिल
जिला अस्पताल से रेफर कोविड संक्रमित को थमा दिया 2.15 लाख का बिल

जेएनएन, सम्भल: कोरोना बीमारी अवसर बन चुकी है, कमाने खाने का। कुछ इंजेक्शन ब्लैक कर रहे हैं तो कुछ आक्सीमीटर, आक्सीजन फ्लोमीटर, आक्सीजन सिलिडर। मरीज आर्थिक शोषण से बेहाल हैं। बुधवार को चन्दौसी रोड स्थित निजी एल टू अस्पताल से भी एक ऐसा ही मामला सामने आया। जिला अस्पताल से रेफर कोरोना संक्रमित से पहले तो एक लाख रुपये की दवा व इंजेक्शन खरीदवाया गया फिर डिस्चार्ज के नाम पर 2.15 लाख का बिल थमा दिया गया। संक्रमित के भाई ने हल्ला मचाया तो भाई डिस्चार्ज हुआ।

हजरतनगर गढ़ी थाना क्षेत्र के गांव हसनपुर रूप पट्टी निवासी रवि जिला अस्पताल में परेशान घूम रहा था। पता चला कि उसका भाई चन्दौसी रोड स्थित एल टू अस्पताल एशियन हसीना बेगम अस्पताल में एडमिट है और डिस्चार्ज के नाम पर 2.5 लाख का बिल थमा दिया गया है। उसने बताया कि 10 मई को वह भाई को लेकर अस्पताल आया था। पाजिटिव होने पर एल टू निजी अस्पताल में भर्ती कराया। तत्काल ही वहां 10 हजार रुपये लिए गए। बीच-बीच में से दवा मद में भी एक लाख का खर्च हुआ। बुधवार को डिस्चार्ज होना था लेकिन 2.15 लाख का बिल दिया गया। किसी ने बताया कि सरकारी खर्च पर इलाज होता है। ऐसे में उसने पैसे देने से मना कर दिया और जिला अस्पताल पहुंचा। डीएम को मिलाया फोन

रवि के अनुसार उसने डीएम को फोन किया। उनके कर्मचारी ने फोन रिसीव किया। रवि ने उनसे मामला बताया तो कर्मचारी ने एसडीएम का नंबर दिया। एसडीएम के यहां से उसे जिला सर्विलांस अधिकारी कोविड का नंबर मिला। उनसे भी जब बात नहीं हुई तो उसने मुख्यमंत्री हेल्पलाइन नंबर 1076 पर फोन किया। यहां से उसे सीएमओ का नंबर मिला। सीएमओ से भी बात नहीं हो पाई। इसी बीच डीएम ने सक्रियता दिखाई तो मामला सुलझा। मानसिक तनाव झेलने के बाद भाई डिस्चार्ज

पूरे दिन रवि को काफी मानसिक तनाव का सामना करना पड़ा। शायद यह तो एक मामला था जो संज्ञान में आ गया, हो सकता है ऐसे अभी और कितने मामले होंगे। मरीज के स्वजनों द्वारा भर्ती के समय अस्पताल का रेफरल लेटर नहीं दिया गया था। बाद में जब रेफर लेटर दिया गया है तो सरकारी नियमों के मुताबिक बिना पैसे लिए डिस्चार्ज किया गया। दवा व अन्य का जिम्मा संक्रमित के स्वजनों का होता है।

रोबिन, सेंटर हेड एशियन हसीना बेगम एल-टू कोविड अस्पताल

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