29 साल से हाथी पर सवार रहे पूर्व मंत्री अकीलुर्रहमान बसपा से निष्कासित

जेएनएन सम्भल मुरादाबाद मंडल में वीर सिंह के बाद अगला निशाना बसपा के कद्दावर नेता पूर्व मंत्री अकीलुर्रहमान खां रहे। संगठन विरोधी गतिविधि में शामिल होने पर पार्टी ने उन्हें निष्कासित कर दिया है। पूर्व मंत्री ने कहा कि मैंने विपरीत परिस्थिति में सपा के गढ़ वाले जिले में पार्टी का झंडा बुलंद किया था। खुद विधायक रहा जबकि मेरी पत्नी तरन्नुम अकील सम्भल शहर से नगर पालिका चेयरमैन रही। बसपा ने मुझे निकालकर सच्चे सिपाही को निकाला है। वहीं पत्नी तरन्नुम अकील ने भी इस पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। उन्होंने कहा कि जिस बसपा ने तीन दशक से पार्टी को मजबूत करने वाले उनके पति को सम्मान नहीं दिया तो मुझें क्या देगी।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 28 Oct 2021 01:39 AM (IST) Updated:Thu, 28 Oct 2021 01:39 AM (IST)
29 साल से हाथी पर सवार रहे पूर्व मंत्री अकीलुर्रहमान बसपा से निष्कासित
29 साल से हाथी पर सवार रहे पूर्व मंत्री अकीलुर्रहमान बसपा से निष्कासित

जेएनएन, सम्भल : मुरादाबाद मंडल में वीर सिंह के बाद अगला निशाना बसपा के कद्दावर नेता पूर्व मंत्री अकीलुर्रहमान खां रहे। संगठन विरोधी गतिविधि में शामिल होने पर पार्टी ने उन्हें निष्कासित कर दिया है। पूर्व मंत्री ने कहा कि मैंने विपरीत परिस्थिति में सपा के गढ़ वाले जिले में पार्टी का झंडा बुलंद किया था। खुद विधायक रहा जबकि मेरी पत्नी तरन्नुम अकील सम्भल शहर से नगर पालिका चेयरमैन रही। बसपा ने मुझे निकालकर सच्चे सिपाही को निकाला है। वहीं, पत्नी तरन्नुम अकील ने भी इस पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। उन्होंने कहा कि जिस बसपा ने तीन दशक से पार्टी को मजबूत करने वाले उनके पति को सम्मान नहीं दिया तो मुझें क्या देगी।

13 अक्टूबर को जागरण ने बसपा के अंदर खाने चल रहे इस प्रकरण को खबर के जरिए सामने लाया था। पूर्व मंत्री के निकाले जाने की पूरी संभावना की पड़ताल कर यह उजागर कर दिया था। बुधवार को अचानक हाईकमान के निर्देश पर जिलाध्यक्ष जितेंद्र सिंह ने सरायतरीन निवासी पूर्व मंत्री अकीलुर्रहमान खां को पार्टी से निष्कासित कर दिया। ऐसे में अब लगभग तय हो चुका है कि वह किसी भी दूसरी पार्टी को जल्द ही दामन थाम सकते हैं। हालांकि, उनकी सपा में जाने की ज्यादा संभावना जताई जा रही है। बसपा जिलाध्यक्ष ने बताया कि अनुशासनहीनता व पार्टी विरोधी गतिविधि में लिप्त होने पर उन्हें बसपा सुप्रीमो ने बाहर का रास्ता दिखा दिया है। बता दें कि वह 1992 में बसपा से जुड़े थे। 1993 में मुरादाबाद नगर से बसपा प्रत्याशी बने, चुनाव हारे। 2002 में फिर बहजोई से लड़े और बसपा को जीत दिलाई।

2007 में एक बार फिर बहजोई से बसपा के विधायक बने। वहीं, 2014 में बसपा ने लोकसभा प्रत्याशी बनाया। रिकार्ड पौने तीन लाख वोट हासिल किए थे। मैंने 29 साल बसपा की सेवा की। जिस समय प्रदेश में सपा की सरकार थी। सभी विधायक सपा के थे। इसमें लोकसभा चुनाव में पौने तीन लाख वोट पाया। बसपा को सम्भल में मैं तथा मेरी पत्नी ने मजबूत किया। दो बार सम्भल में बसपा का नगर पालिका चेयरमैन रहा। जो भी निर्णय बसपा सुप्रीमो ने लिया है वह स्वीकार है। एक बात तो तय है कि सम्भल में बसपा पूरी तरह से खत्म हो जाएगी। जब मेरे जैसे सच्चे सिपाही के साथ पार्टी ने यह किया तो अन्य के साथ कुछ भी हो सकता है। हजारों दलित-मुस्लिमों साथियों से राय लेकर मैं अगली रणनीति जल्द ही बनाउंगा।

अकीलुर्रहमान, पूर्व मंत्री

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