68 तीर्थ व 19 कूपों की चौबीस कोसी परिक्रमा आज

जेएनएन सम्भल अयोध्या मथुरा की तरह सम्भल के 68 तीर्थ और 19 कूपों की चौबीस कोसी परिक्रमा का सोमवार की भोर में वंशगोपाल तीर्थ से विधिवत शुभारंभ होगा। रात्रि विश्राम चंद्रेश्वर तीर्थ पर होगा। परिक्रमा समिति ने आयोजन को सफल बनाने के लिए तैयारी पूरी कर ली है।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 07 Nov 2021 11:18 PM (IST) Updated:Sun, 07 Nov 2021 11:18 PM (IST)
68 तीर्थ व 19 कूपों की चौबीस कोसी परिक्रमा आज
68 तीर्थ व 19 कूपों की चौबीस कोसी परिक्रमा आज

जेएनएन सम्भल: अयोध्या, मथुरा की तरह सम्भल के 68 तीर्थ और 19 कूपों की चौबीस कोसी परिक्रमा का सोमवार की भोर में वंशगोपाल तीर्थ से विधिवत शुभारंभ होगा। रात्रि विश्राम चंद्रेश्वर तीर्थ पर होगा। परिक्रमा समिति ने आयोजन को सफल बनाने के लिए तैयारी पूरी कर ली है।

श्री वंशगोपाल कल्किधाम बेनीपुर चक में रविवार को सुरक्षा व्यवस्था की ²ष्टि से पुलिस क्षेत्राधिकारी अरुण कुमार सिंह और हयातनगर थाने के इंस्पेक्टर राजेश सोलंकी ने जायजा लिया है। महंत स्वामी भगवत प्रिय महाराज से जानकारी हासिल की। कोविड-19 की गाइडलाइन के पालन करने पर जोर दिया। वहीं, सम्भल तीर्थ परिक्रमा समिति के अध्यक्ष जीतपाल यादव ने बताया कि परिक्रमा अपने दिव्य और भव्य रूप में सोमवार की भोर में श्री वंशगोपाल कल्किधाम से शुरू होगी। परिक्रमा में शामिल होने वाले श्रद्धालुओं की व्यवस्था में कई हिदू संगठन अपना सहयोग देंगे। रास्ते में जलपान से लेकर कई तरह की व्यवस्थाएं रहेंगी।

तीर्थ यात्रियों के स्वागत को तैयार तीर्थ नीमसार

चौबीस कोसी परिक्रमा के दौरान सबसे पहला प्राचीन तीर्थ नीमसार (क्षेमनाथ) पड़ेगा। मंदिर के महंत दीनानाथ ने बताया कि मंदिर परिसर को सजाया गया है। तीर्थ यात्रियों के लिए व्यवस्थाएं की गई हैं।

पुलिस फोर्स के साथ सुरक्षा व्यवस्था रहे चौकस

ऐतिहासिक नगरी सम्भल के 68 तीर्थ और 19 कूपों की चौबीस कोसी सम्भल तीर्थ परिक्रमा आठ नवंबर को सुबह चार बजे से शुरू होगी। प्राचीन तीर्थ श्री वंश गोपाल कल्किधाम बेनीपुर चक से भगवान श्री कल्कि की दिव्य सामूहिक आरती, भक्तों को तिलक लगाकर व झंडा फहराकर फेरी का शुभारंभ किया जाएगा। परिक्रमा समिति के मीडिया प्रभारी अरविद पाल ने बताया कि आठ नवंबर सोमवार को तड़के चार बजे परिक्रमा का शुभारंभ होगा।नौ नवंबर को दोपहर 12 बजे वंश गोपाल तीर्थ पर परिक्रमा का समापन किया जाएगा।

इन मार्गाें से गुजरेगी परिक्रमा

बेनीपुर वंशगोपाल तीर्थ से यह परिक्रमा शुरू होती है। यहां से यह परिक्रमा माता वाली मिलक, बादल गुम्बद हसनपुर रोड, खानपुर गुम्मार, फिरोजपुर, नीमसार, शहबाजपुर सूरा नगला, चन्दौसी रोड भवानीपुर, हैबतपुर होते हुए रात्रि विश्राम चंदायन यानी चंद्रदेश्वरे तीर्थ में होता है। हल्दीपुर, राढौल, लहरा कमंगर, मुजफ्फरपुर, शेरपुर, रसूलपुर, शहापुर, आदमपुर रोड से वंशगोपाल तीर्थ आती है, जहां समापन होता है। सालों से निकलती है परिक्रमा

मान्यता है कि 5240 साल पहले से यह परिक्रमा अनवरत ही निकलती है। हालांकि बीच में कई सालों तक यह रूकी रही थी लेकिन अब फिर भी चालू हो गई है। इसमें स्थानीय स्तर पर पूरी कमेटी काम करती है और परिक्रमा पथ के दौरान जन सेवा भी खूब होती है। सम्भल तीर्थ व कूप की नगरी है। यहां का उल्लेख पुराणों में भी है। परिक्रमा में सम्भल के लाखों लोगों की आस्था जुड़ी है। भजन कीर्तन के साथ यह परिक्रमा होती है। कमेटी मनोयोग से काम करती है।

स्वामी भगवत प्रिय, महंत वंशगोपाल कल्कि धाम

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