कठिन तो है, असंभव नहीं सहारनपुर को इंदौर बनाना
सहारनपुर स्मार्ट सिटी को स्वच्छता रैंक में देश के टाप टेन सिटी में पहुंचाने के प्रयास इस बार भी फलीभूत नहीं हो सके हैं। रैंकिंग में गत वर्ष सहारनपुर 49 वें स्थान पर रहा था जबकि इस बार रैंकिंग में पिछड़कर 64 वें स्थान पर पहुंच गया।
सहारनपुर, जेएनएन। सहारनपुर स्मार्ट सिटी को स्वच्छता रैंक में देश के टाप टेन सिटी में पहुंचाने के प्रयास इस बार भी फलीभूत नहीं हो सके हैं। रैंकिंग में गत वर्ष सहारनपुर 49 वें स्थान पर रहा था, जबकि इस बार रैंकिंग में पिछड़कर 64 वें स्थान पर पहुंच गया। कूड़ा निस्तारण के लिए किए जा रहे प्रयास अभी सार्थक नहीं हो सके हैं, जबकि निगम लगातार यह दावा करता रहा है कि डंपिग ग्राउंड पर कूड़ा निस्तारण संयंत्र का कार्य प्रगति पर है और जल्द ही यहां निस्तारण का काम शुरू हो जायेगा।
स्मार्ट सिटी सहारनपुर में नागरिकों को बेहतर सुविधाएं और सेवाएं सुलभ कराने के लिए प्रयास जारी है। सबसे पहला काम कूड़े का समय उठान और उसका निस्तारण कराना है। इस दिशा में निगम द्वारा 140 कूड़ाघरों में से चार वर्षो के दौरान 100 को समाप्त किया जा चुका है। 40 स्थानों पर अभी भी कूड़ाघर चल रहे हैं। हालात यह है कि इन कूड़ाघर में कई पर दिनभर कूड़े से बदबू उठती रहती है। नालियों का पानी भी कूड़ाघर पर जमा होने से राहगीरों और आसपास रहने वाले लोगों को परेशानियों से दो-चार होना पड़ रहा है। बुड्ढी माई चौक, गलीरा रोड, आजाद कालोनी व चिलकाना रोड आदि स्थानों के कूड़ाघरों पर कूड़े के उठान में देरी परेशानी का सबब बनती है।
स्वच्छता रैंकिग में मध्यप्रदेश का इंदौर देशभर में पहले पायदान पर रहा। सहारनपुर को 64वां स्थान मिला, जबकि गत वर्ष यह रैंकिंग 49थी। रैंक में सुधार के प्रयास फलीभूत न होने से उन लोगों को खासी निराशा हुई जो यह मानकर चल रहे थे कि इस बार अपना सहारनपुर टाप-10 शहरों में शुमार हो जायेगा।
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सहारनपुर में रही ये कमी
-140 कूड़ाघरों में से 40 कूड़ाघर अभी तक समाप्त नहीं किए जा सके।
-नालों की सफाई वर्ष में केवल एक बार कराया जाना।
-सफाई कर्मचारियों व अन्य संसाधनों अपेक्षा से कम।
-डोर-टू-डोर कूड़ा कलेक्शन के क्षेत्रों का विस्तार न होना।
-कूड़ा निस्तारण संयंत्र अभी तक शुरू न होना।
-निगम में शामिल गांवों में पर्याप्त सफाई न होना।
-खाली प्लाटों में कूड़े व जलभराव की समस्या बरकरार।
-बड़ी आवासीय कालोनियों में कूड़ा निस्तारण की व्यवस्था न होना।
-बारिश के दौरान जलभराव की समस्या से निपटने के उपाय नहीं।
-बाजारों में नालियां कूड़े से अटी पड़े होना।
-जनसहभागिता कार्यक्रम में अपेक्षित सफलता नहीं।
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सी-32
मैं भी स्वच्छता प्रहरी अपने सहारनपुर को इंदौर जैसा साफ-सुथरा बनाने के लिए हर व्यक्ति को अपने स्तर पर गंभीरता से प्रयास करने की आवश्यकता है। मैं अपने घर के सदस्यों, मित्रों और परिचितों से सहारनपुर को साफ-सुथरा रखने की कोशिश करूंगा। डोर-टू-डोर कूड़ा कलेक्शन के प्रति भी लोगों को जागरूक करना चाहिए कि वे निगम के कर्मियों व निगम से संबंधित एनजीओ के कर्मचारियों को ही घर से कूड़ा दें, कूड़े को कदापि भी घर या प्रतिष्ठान के आसपास न डालें।
अंकित अग्रवाल, दिल्ली रोड।
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ये अपनाया गया स्वच्छता रैंकिंग का आधार
-शहरी निकाय द्वारा किए जा रहे कार्य यानि सर्विस लेवल प्रोसेस साफ-सफाई कूड़ा संग्रह और निस्तारण।
-प्रमाणीकरण, अधिकृत संस्थाओं द्वारा ओडीएफ और जल संचय संग्रहण व सफाई का प्रमाणपत्र। सामुदायिक शौचालयों की स्थिति सफाई और उपयोग आदि।
-जनता का फीडबैक: जो कार्य किए गए है उनको जनता कैसे लेती है।
-इन सब कार्यों के अंक मिलते हैं। हर कार्य के लिए अलग-अलग अंक होते है। जब सर्वे शुरू होता है तो नगर निगम की ओर से दावा किया जाता है कि इस कार्य में वह बेहतर है और इसके बाद सर्वे टीम महानगर के विभिन्न स्थानों पर मौके पर पहुंचकर जांच करती है और इसी के आधार पर ही टीम अंक देती है।