विजयादशमी को श्रद्धांजलि दिवस के रूप में मनाते भावसी के ग्रामीण

अधर्म पर धर्म की विजय मानकर अहंकार के प्रतीक जिस रावण के पुतले का दहन किया।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 13 Oct 2021 11:21 PM (IST) Updated:Wed, 13 Oct 2021 11:21 PM (IST)
विजयादशमी को श्रद्धांजलि दिवस के रूप में मनाते भावसी के ग्रामीण
विजयादशमी को श्रद्धांजलि दिवस के रूप में मनाते भावसी के ग्रामीण

सहारनपुर, जेएनएन। अधर्म पर धर्म की विजय मानकर अहंकार के प्रतीक जिस रावण के पुतले का दहन विजयादशमी के दिन पूरे देश में किया जाता है। रावण के प्रति श्रद्धा भाव रखकर क्षेत्र के एक गांव भावसा निवासी ब्राह्मण परिवारों में विजयादशमी पर्व को श्रद्धांजलि दिवस के रूप में मनाया जाता है। इन ब्राह्मण परिवारों द्वारा दशानन को अपना पूर्वज मानते हुए इस पर्व पर उसकी विधिवत पूजा अर्चना की जाती है, ऐसी अवधारणा वाले इन ब्राह्मण परिवारों के लिए विजयादशमी पर्व अधर्म पर धर्म की विजय का दिवस नहीं, बल्कि रावण के लिए श्रद्धांजलि दिवस माना जाता है। इस दिन पर ये ब्राह्मण परिवार व्रत धारण कर बाबा दशानन की आकृति बनाकर पूरे विधि विधान से उसकी पूजा करते हैं और शाम के समय उसे नदी में प्रवाहित कर देते हैं।

देशभर में परंपरागत तरीके से आयोजित किए जाने वाले रावण दहन महोत्सव में इन परिवारों का कोई भी सदस्य भाग नहीं लेता।

दशानन के प्रति अपनी श्रद्धा रखने वाले पंडित शिवकुमार ,प्रमोद शर्मा, अरविद ,मोनू पंडित ,श्रवण, अश्वनी शर्मा, शुभम ,विनय हरितश, विक्रम आदि का कहना है कि प्रभु श्रीराम में उनकी अटूट श्रद्धा है, लेकिन रावण को अधर्मी मानने वालों की हम कड़ी भ‌र्त्सना करते हैं।

इनसेट

यह कारण है रावण

की पूजा का

इसी गांव के निवासी वरिष्ठ भाजपा नेता रामकुमार शर्मा का कहना है कि जिस दशानन को प्रति वर्ष अधर्मी और बुराई का प्रतीक मानकर उनके पुतले का दहन किया जाता है। वह महाज्ञानी, संगीतज्ञ, ज्योतिषाचार्य, और तीनों लोको का स्वामी होने के साथ सर्व शक्तिमान थे। केवल अहंकार के कारण अनेक गुणों के बाद भी बाबा रावण का पुतला दहन करने की परंपरा गलत है। हमें उनके अच्छे गुणों से सीख लेनी चाहिए।

chat bot
आपका साथी