गांव दतौली मुगल जो आज तक नहीं हुआ आरक्षित

त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव को लेकर प्रशासन द्वारा अनंतिम आरक्षण सूची जारी करने से कहीं दावेदार खुश हैं तो कहीं दावेदारों को मायूसी हाथ लगी है। वर्ष 1995 को आधार मानकर जो आरक्षण जारी किया गया था उसमें पहली बार विकासखंड मुजफ्फराबाद के गांव दतौली मुगल को अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित किया गया था। मगर वर्ष 2015 को आधार मानकर जारी किये गए आरक्षण में यह ग्राम पंचायत एक बार फिर सामान्य जाति के लिए हो गई है। इससे ग्राम प्रधान का चुनाव लड़ने का सपना देखने वाले अनुसूचित वर्ग को एक बार फिर से मायूसी हाथ लगी है।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 20 Mar 2021 11:32 PM (IST) Updated:Sat, 20 Mar 2021 11:32 PM (IST)
गांव दतौली मुगल जो आज तक नहीं हुआ आरक्षित
गांव दतौली मुगल जो आज तक नहीं हुआ आरक्षित

जेएनएन, सहारनपुर। त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव को लेकर प्रशासन द्वारा अनंतिम आरक्षण सूची जारी करने से कहीं दावेदार खुश हैं तो कहीं दावेदारों को मायूसी हाथ लगी है। वर्ष 1995 को आधार मानकर जो आरक्षण जारी किया गया था, उसमें पहली बार विकासखंड मुजफ्फराबाद के गांव दतौली मुगल को अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित किया गया था। मगर वर्ष 2015 को आधार मानकर जारी किये गए आरक्षण में यह ग्राम पंचायत एक बार फिर सामान्य जाति के लिए हो गई है। इससे ग्राम प्रधान का चुनाव लड़ने का सपना देखने वाले अनुसूचित वर्ग को एक बार फिर से मायूसी हाथ लगी है। यही हाल जिला पंचायत वार्ड सदस्यों का भी है, शनिवार को जारी आरक्षण सूची में चुनाव लड़ने का सपना देखने वाले कई दावेदारों की उम्मीदों पर पानी फिर गया है।

विकासखंड मुजफ्फराबाद के ग्रामीणों की मानें तो आजादी के बाद से उनका गांव दतौली मुगल सामान्य जाति में ही रहा है। कभी यह सामान्य जाति में रहा तो कभी सामान्य जाति महिला के लिए आरक्षित होता रहा है। करीब पांच हजार की आबादी वाले गांव में अनुसूचित जाति के लोगों की संख्या भी काफी है। वर्ष वर्ष 1995 को आधार मानकर 3 मार्च को जो आरक्षण जारी किया गया था, उसमें पहली बार गांव दतौली मुगल को अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित किया गया था। जिससे अनुसूचित जाति के लोगो में इस बात की खुशी थी कि अब उनके लोग भी चुनाव लड़कर गांव के प्रधान बन सकेंगे। मगर शनिवार को जो आरक्षण जारी किया गया है, उससे अनुसूचित वर्ग को फिर से मायूसी हाथ लगी है। शनिवार को जारी किये गए आरक्षण सूची से करीब 25 प्रतिशत ग्राम पंचायतों का आरक्षण बदल गया है। यही हाल जिला पंचायत के वार्डों के आरक्षण को लेकर है इसकी भी कई सीटों का आरक्षण बदल गया है। हालांकि बीडीसी सदस्यों को लेकर ज्यादा उत्साह नहीं है मगर ब्लाक प्रमुख बनने का सपना देखने वाले बीडीसी की सीटों का भी आंकलन करने में जुट गए हैं।

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