ग्रामीणों को दिलाई पराली न जलाने की शपथ

जिलाधिकारी आलोक कुमार पांडेय द्वारा पराली जलाने वालों के खिलाफ सख्त कदम उठाने के आदेश के बाद रविवार को सदर तहसील प्रशासन से जुड़े अधिकारियों ने घूम-घूम कर बैठकें की और तीन सौ गांवों में पराली न जलाने की शपथ दिलाई।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 17 Nov 2019 11:11 PM (IST) Updated:Mon, 18 Nov 2019 06:07 AM (IST)
ग्रामीणों को दिलाई पराली न जलाने की शपथ
ग्रामीणों को दिलाई पराली न जलाने की शपथ

सहारनपुर, जेएनएन। जिलाधिकारी आलोक कुमार पांडेय द्वारा पराली जलाने वालों के खिलाफ सख्त कदम उठाने के आदेश के बाद रविवार को सदर तहसील प्रशासन से जुड़े अधिकारियों ने घूम-घूम कर बैठकें की और तीन सौ गांवों में पराली न जलाने की शपथ दिलाई।

पराली जलाने से हो रहे प्रदूषण पर सुप्रीम कोर्ट की सख्ती और शासन के आदेशों को देखते हुए जिलाधिकारी आलोक कुमार पांडेय ने शनिवार को कृषि व प्रदूषण नियंत्रण विभाग के अधिकारियों को पराली जलाने वालों पर निगरानी रखने के आदेश दिए थे। साथ ही यह भी आदेश दिए थे कि सभी एसडीएम पराली जलाने वालों के खिलाफ एफआइआर कराकर जुर्माना लगाएं और लोगों को जागरूक करें कि पराली न जलाएं। निर्देशों के अनुपालन में रविवार को एसडीएम सदर अनिल कुमार सिंह द्वारा तहसील के सभी लेखपालों के माध्यम से लगभग 300 ग्रामों में बैठकें कराई गईं। इन बैठकों में किसानों को सुप्रीम कोर्ट और शासन के आदेशों से अवगत कराया गया। जुर्माने और सजा के बारे में भी आगाह किया गया। खुद एसडीएम सदर द्वारा ग्राम लाखनौर में ग्रामवासियों के साथ बैठक की गई। इस बारे में गांव-गांव में मुनादी/एलान भी कराए गए तथा सभी को शपथ भी दिलाई गई। --इनसेट---

साढौली हरिया में जलाई पराली

जास, सहारनपुर : कोर्ट व प्रशासन के आदेश के बावजूद खेत में पराली जलाए जाने का सिलसिला रुकने का नाम नहीं ले रहा है। शनिवार को मल्हीपुर रोड स्थित गांव साढौली हरिया के एक खेत में पराली जलाए जाने से प्रदूषण फैलता रहा। ---इनसेट----

सी-115, पराली जलाएं नहीं, इसे पशुाओं का चारा बनाएं

संवाद सूत्र,महंगी: एक ओर जहां हरियाणा-पंजाब व यूपी में पराली जलाने को लेकर हायतौबा मची हुई है। वहीं क्षेत्र में कुछ किसान पराली को पशुओं को चारे के रूप में प्रयोग कर रहे हैं, जिससे वह पर्यावरण को दूषित होने से बचा रहे हैं। ज्यादातर किसान पशुओं के लिए सूखे चारे के रूप में भूसे का प्रयोग करते हैं, जो काफी महंगा होता है। वहीं क्षेत्र के कुछ किसान पराली को मशीन में कटवाकर चारे के रूप में प्रयोग रहे हैं। पशुपालक भी खेतों से 500 रुपये बीघा खरीदकर पशुओं को डाल रहे हैं। किसान रामनिवास, सुरेंद्र, रामसिंह, विनोद कुमार का कहना है कि पराली को भूसे में मिलाकर पशुओं को डालने से पशुओं को काई हानि नहीं होती है। किसानों ने मशीन से पराली को कटवाने के 700 से 800 रुपये घंटा देना पड़ता है। पशुपालक देशराज का कहना है कि भूसे के मुकाबले कम खर्च में पराली मिलती हैं, जिससे पशुओं को कोई हानि नहीं होती।

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