छत की बगिया में पौधों का अनूठा संसार

हरियाली के बिना जीवन की कल्पना नहीं की जाती है। कोरोना महामारी ने इन दिनों हरियाली की महत्ता को और अधिक बढ़ा दिया है। घर के आंगन और बगीची के अलावा छतों पर भी बगिया बनाने का चलन तेजी से बढ़ रहा है।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 16 Jun 2021 10:51 PM (IST) Updated:Wed, 16 Jun 2021 10:51 PM (IST)
छत की बगिया में पौधों का अनूठा संसार
छत की बगिया में पौधों का अनूठा संसार

सहारनपुर, जेएनएन। हरियाली के बिना जीवन की कल्पना नहीं की जाती है। कोरोना महामारी ने इन दिनों हरियाली की महत्ता को और अधिक बढ़ा दिया है। घर के आंगन और बगीची के अलावा छतों पर भी बगिया बनाने का चलन तेजी से बढ़ रहा है। फूलों के साथ ही घरेलू इस्तेमाल के फल और सब्जियां भी बगिया में भरपूर पैदा हो रहे हैं।

महानगर के पंत विहार में अन्य कालोनियों की अपेक्षा हरियाली अधिक है। इस कालोनी के मनु दीक्षित व रेणु दीक्षित के परिवार ने घर की छत पर अनूठी बगिया तैयार की है। पूरा परिवार इस बगिया की देखभाल और सिचाई करता है। सुगंधित फूलों के अलावा बगिया में कई प्रकार की मौसमी सब्जियों ओर फलों की भी भरमार है। मनु के पुत्र मयूर, पुत्रवधू विनीता और पौत्र दीक्षित तथा पौत्री आद्या भी पौधों की सिचाई में हाथ बंटाती हैं।

कोरोना संकट में हरी सब्जियों की पैदावार से न केवल घर की जरूरत पूरी हुई, बल्कि रिश्तेदारों और आसपास रहने वाले लोगों को भी सब्जियों का स्वाद दिलाया। मनु बताते हैं कि बगिया में ककड़ी, भिडी, लौकी तुरई, बैंगन, टिडा, खीरा, खरबूजा, टमाटर, धनिया, पुदीना के अलावा अनार और और अमरूद् भी आ रहे हैं। घर में ओपन स्थान न होने के कारण उन्होंने करीब चार वर्ष पहले छत पर फूलों के चार-पांच गमले रखे थे। धीरे-धीरे परिवार के सदस्यों का शौक परवान चढ़ता गया। हमने पुराने बक्सों, डिब्बों, ड्रम आदि को पौधे उगाने का साधन बनाया। सुबह-शाम दोनों समय परिवार के सदस्य बगिया की सफाई करते हैं। सूखे पौधों और रसोई से निकलने वाले कूड़े आदि से छत पर ही खाद तैयार कर पौधों के गमलों में डालते हैं।

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