पुलिस की नौकरी कितनी ही कठिन हो, मां का धर्म निभाने में कभी पीछे नहीं हटीं

देवबंद में मां की सबसे कीमती धरोहर होती है औलाद। मां जीवनभर बच्चों की जरूरतों को पूरा करती रहती है जबकि खुद भूखी रहकर बच्चों का पेट भरना प्राथमिकता समझती है।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 08 May 2021 07:30 PM (IST) Updated:Sat, 08 May 2021 07:30 PM (IST)
पुलिस की नौकरी कितनी ही कठिन हो, मां का धर्म निभाने में कभी पीछे नहीं हटीं
पुलिस की नौकरी कितनी ही कठिन हो, मां का धर्म निभाने में कभी पीछे नहीं हटीं

सहारनपुर, जेएनएन। देवबंद में मां की सबसे कीमती धरोहर होती है औलाद। मां जीवनभर बच्चों की जरूरतों को पूरा करती रहती है, जबकि खुद भूखी रहकर बच्चों का पेट भरना प्राथमिकता समझती है। खुद गीले में सोती है, जबकि बच्चों को सूखे में सुलाती है। औलाद भी अगर किसी मुसीबत में हों तो सबसे पहले मां को याद करती है। मां की मोहब्बत को शब्दों में बयां कर पाना मुश्किल है। कोरोना के इस आपदा काल में भी देश की बहुत सारी माताएं ऐसी हैं जो अपनी ड्यूटी का फर्ज निभाने के साथ ही अपने बच्चों को भी ममता के आंचल में समेटे है और इन विपरीत परिस्थितियों में भी अपने बच्चों की देखभाल कोई कमी नहीं छोड़ रही है।

अपनी ड्यूटी को ईमानदारी से अंजाम देने के साथ ही बच्चों को दुलार देने वाली ऐसी ही मां है कोमल त्यागी। कोमल त्यागी पुलिस क्षेत्राधिकारी कार्यालय में कांस्टेबल के पद पर तैनात हैं और देवीकुंड रोड पर बने अग्निशमन विभाग के बने सरकारी क्वार्टर में निवास करती हैं। कोरोना के इस भयावह काल में कोमल की जिम्मेदारी बढ़ी हुई है लेकिन फिर भी वह मां का पूरा फर्ज निभा रही हैं। कोमल त्यागी के एक पांच साल का बेटा आरव और आठ साल की बेटी रितिका है। ड्यूटी के दौरान बच्चे भूखे न रहे इसलिए कोमल ड्यूटी जाने से पहले सुबह सवेरे अपने बच्चों को नाश्ता कराने के साथ ही अपने दोनों बच्चों का खाना अलग अलग टिफिन में रखकर आती है। कोमल का कहना है कि रात्रि में ड्यूटी समाप्त होने के बाद जब वह घर पहुंचती है तो वह अपने बच्चों को अपने नजदीक नहीं आने देती और सबसे पहले अपनी वर्दी को गर्म पानी में क्लीन करने के बाद अपने आपको सैनिटाइज करने के बाद अपने बच्चों को दुलारती हैं। लाकडाउन के चलते फिलहाल उनके पति घर पर रहकर बच्चों के साथ ही रह रहे हैं। कोमल का कहना है कि हर वर्ष मदर्स डे पर उनके बच्चे उन्हें गिफ्ट देते हैं और वह भी बच्चों के लिए उपहार ले जाती हैं।

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