कच्चे माल से लेकर शराब सप्लाई में चल रहा था करोड़ों का खेल

देसी शराब बनाने वाली कापरेटिव लिमिटेड नामक कंपनी का खेल अब जांच में धीरे-धीरे सामने आ रहा है। कचे माल से लेकर शराब सप्लाई तक में बड़ा खेल होता था। अब एसटीएफ ने पूरे मामले का राजफाश करने के बाद गेंद पुलिस के पाले में डाल दी है।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 04 Mar 2021 10:50 PM (IST) Updated:Thu, 04 Mar 2021 10:50 PM (IST)
कच्चे माल से लेकर शराब सप्लाई में चल रहा था करोड़ों का खेल
कच्चे माल से लेकर शराब सप्लाई में चल रहा था करोड़ों का खेल

सहारनपुर, जेएनएन। देसी शराब बनाने वाली कापरेटिव लिमिटेड नामक कंपनी का खेल अब जांच में धीरे-धीरे सामने आ रहा है। कच्चे माल से लेकर शराब सप्लाई तक में बड़ा खेल होता था। अब एसटीएफ ने पूरे मामले का राजफाश करने के बाद गेंद पुलिस के पाले में डाल दी है। अब आगे की जांच देहात कोतवाली पुलिस करेगी। हालांकि एसटीएफ की जांच में जो 16 नाम टैक्स चोरी करने में सामने आए हैं, उन सभी को नामजद कर लिया गया है। उनके बयान भी दर्ज कर लिए गए हैं।

एसटीएफ के अपर पुलिस अधीक्षक विशाल विक्रम का कहना है कि एसटीएफ की पूछताछ में कंपनी के केमिस्ट अरविद कुमार ने बताया कि देसी शराब बनाने के लिए वह बिजनौर, मुजफ्फरनगर, हापुड़ जिलों से ईएनए (एक्ट्रा न्यूट्रल एल्कोहल) खरीदते हैं। यदि एक 35 हजार लीटर का टैंकर मंगाया है, तो बिल मात्र 25 हजार लीटर का ही बनाया जाता था। 10 हजार लीटर ईएनए के टैक्स को बचा लिया जाता था। इसके बाद इस 10 हजार लीटर ईएनए से वह शराब बनाई जाती थी, जिसे बिना बिल यानि बिना टैक्स लगाए ही दूसरे जिलों को बेचा जाता था। अनुमान है कि एक माह में 15 से 20 करोड़ रुपये की टैक्स चोरी कर ली जाती थी। एसटीएफ इस मामले में जल्द ही दूसरे जनपदों में भी डेरा डाल सकती है, ताकि प्राइवेट ठेकेदारों को भी पकड़ा जा सके और अन्य जानकारी निकाली जा सके। पश्चिम उत्तर प्रदेश से पूर्वांचल तक फैला नेटवर्क

एसटीएफ की जांच में सामने आया है कि सहारनपुर की कापरेटिव कंपनी लिमिटेड में काम करने वाले अधिकारियों और कर्मचारियों का नेटवर्क पश्चिम उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर, बिजनौर, हापुड़ जिलों से लेकर पूर्वांचल के संभल, कानपुर, देवरिया, उन्नाव आदि जिलों तक फैला है। यहां से इन जिलों को देसी शराब अवैध रूप से सप्लाई की जाती थी। यानि टैक्स चोरी की शराब सप्लाई की जाती थी। बंद कर दिए जाते थे सीसीटीवी कैमरे

एसटीएफ के सीओ बृजेश कुमार सिंह का कहना है कि जिस समय एक बिल पर पहली गाड़ी निकाली जाती थी तो उस समय कैमरे चालू रहते थे। इसके बाद दूसरी गाड़ी निकालने के समय कंपनी के चपरासी को बोलकर कैमरों को बंद करा दिया जाता था, ताकि कोई रिकार्ड न रहे। वाट्सएप की बातचीत में भी राजफाश

कंपनी मालिक और सेल्स हेड एवं उन्नाव के शराब ठेकेदार अजय जयसवाल के बीच में वाट्सएप पर बातचीत होती थी। सेल्स हेड के बरामद मोबाइल से एसटीएफ ने कुछ प्रिट निकाले हैं, जिसमें बातचीत का रिकार्ड है।

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