अपनी मर्जी से उपज बेचने की आजादी

कृषि क्षेत्र से जुड़े जिन विधेयकों को लेकर इन दिनों राजनीति का बाजार गर्म है उसमें आम किसान को इस पर गंभीरता से विचार करना होगा कि उसके लिए क्या बेहतर है। पहली बार सरकार ने इन विधेयकों के माध्यम से किसानों को उन बेडि़यों से आजाद करने का काम किया है जिसमें वह वर्षों से पिसता आ रहा था।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 19 Sep 2020 09:20 PM (IST) Updated:Sat, 19 Sep 2020 09:20 PM (IST)
अपनी मर्जी से उपज बेचने की आजादी
अपनी मर्जी से उपज बेचने की आजादी

सहारनपुर, जेएनएन। कृषि क्षेत्र से जुड़े जिन विधेयकों को लेकर इन दिनों राजनीति का बाजार गर्म है, उसमें आम किसान को इस पर गंभीरता से विचार करना होगा कि उसके लिए क्या बेहतर है। पहली बार सरकार ने इन विधेयकों के माध्यम से किसानों को उन बेडि़यों से आजाद करने का काम किया है, जिसमें वह वर्षों से पिसता आ रहा था। सरकार ने मंडी की व्यवस्था को समाप्त न कर किसानों को दोनों विकल्प दिये हैं कि जहां उसे उसकी उपज का ज्यादा दाम मिल रहा है, वह उसे वहां बेच सकता है। सरकार के यह प्रयास उसकी उस योजना का हिस्सा है, जिसमें उसने किसानों की आय दुगनी करने की बात कही थी। किसानों को यह बात समझ न आए इसलिए विपक्षी दल किसानों को बरगलाकर इनका विरोध कर रहे हैं। जबकि आम किसान इन पर अभी पूरी तरह चुप्पी साधे हुए हैं। कुछ जागरुक किसानों से इन बिदुओं पर बात की गई तो उनका कहना है कि सरकार जो विधेयक लाई है। यदि उसके कई लाभ हैं। इसलिए किसानों के लिए यह जानना जरूरी है कि इन विधेयकों में क्या है। इसका अध्ययन करने के बाद ही वह इनके विरोध व समर्थन का निर्णय अपने विवेक से लें।

---

उपज बेचने की आजादी

प्रगतिशील किसान डा. प्रीतम सिंह का कहना है कि खेती को लाभकारी बनाना है तो वक्त के साथ बदलाव करना बहुत जरूरी है। आनलाइन खरीद-फरोख्त करने से उन्हें मंडियों की बंदिशों से भी मुक्ति मिलेगी। कम से कम पहली बार नरेंद्र मोदी की सरकार ने किसानों को इतनी आजादी तो दी है कि वह अपनी उपज जहां चाहे बेच सकें। यह किसान पर निर्भर है कि वह अपनी उपज जहां चाहे बेचे मंडी के अंदर या मंडी के बाहर। उनका कहना है कि इसका विरोध करने वाले सिर्फ अपनी राजनीति चमका रहे हैं। राजनीति कर रहे नेता व संगठन

किसान वेदपाल सिंह का कहना है कि यह पहली सरकार है, जिसने किसानों को लेकर अब तक सही कार्य किया है। इनका कहना है कि इस विधेयक के बाद अब किसान अपनी उपज कहीं भी बेच सकता है। आम किसान इस बात को अच्छी तरह से समझ रहा है इसलिए वह सड़कों पर न आकर अपने घरों व खेतों में काम कर रहे हैं। जो संगठन इन विधेयकों का विरोध कर रहे हैं, उनका मकसद सिर्फ और सिर्फ सरकार का विरोध कर अपने आप को जिदा रखना है। ताकि वह अपने राज्यों में इस मुद्दे पर चुनाव लड़ सकें। यदि वह ऐसा नहीं करेंगे तो उनकी दुकानें बंद हो जाएंगी।

chat bot
आपका साथी