मछुआ समुदाय की उपजातियों को अनुसूचित जाति में परिभाषित करने की मांग

बेहट में मछुआ समुदाय की उपजातियों को अनुसूचित जाति में परिभाषित कराए जाने की मांग को लेकर शनिवार को कश्यप एकता समिति के तत्वाधान में कस्बे में जुलूस निकालकर राष्ट्रपति को संबोधित ज्ञापन एसडीएम रामजी लाल को सौंपा गया।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 27 Nov 2021 07:29 PM (IST) Updated:Sat, 27 Nov 2021 07:29 PM (IST)
मछुआ समुदाय की उपजातियों को अनुसूचित जाति में परिभाषित करने की मांग
मछुआ समुदाय की उपजातियों को अनुसूचित जाति में परिभाषित करने की मांग

सहारनपुर, जेएनएन। बेहट में मछुआ समुदाय की उपजातियों को अनुसूचित जाति में परिभाषित कराए जाने की मांग को लेकर शनिवार को कश्यप एकता समिति के तत्वाधान में कस्बे में जुलूस निकालकर राष्ट्रपति को संबोधित ज्ञापन एसडीएम रामजी लाल को सौंपा गया। जुलूस शाकंभरी मार्ग से शुरू होकर तहसील पर पहुंचा था।

राष्ट्रपति को भेजे गए ज्ञापन में कश्यप एकता समिति एवं कश्यप एकता क्रांति मिशन ने मांग की है कि उपजातियों मल्लहा, केवट, मांझी, निषाद, बिन्द, तुरहा, तुराहा, धीमर, धीवर, गौड़, गौड़िया, कहार, कश्यप, बाथम, रैकवार को अनुसूचित जाति में परिभाषित करने हेतु उत्तर प्रदेश अनुसूचित जाति एवं जनजाति शोध एवं प्रशिक्षण संस्थान लखनऊ के माध्यम से विस्तृत अध्यन कराया गया था। जिसमें यह सब उपजातियां अनुसूचित जाति में परिभाषित करने की सभी पात्रताएं एवं अर्हताएं पूरी करती है। अध्ययन रिपोर्ट सहित सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय भारत सरकार को 15 फरवरी 2013 को भेजी गई थी। मछुआ समुदाय की इन पर्यावाची उपजातियों को 22 दिसबंर 2016 को सरकार द्वारा अनुसूचित जातियों में परिभाषित कर भी दिया गया था। मांग की गई है कि अनुसूचित जाति में परिभाषित करने के लिए केन्द्र सरकार को संविधान में संशोधन करने के लिए निर्देशित किया जाए। इस जुलूस में मुख्य रूप से संगठन के अध्यक्ष अजय कश्यप, उपाध्यक्ष नितीश कश्यप व महासचिव रवि कश्यप आदि रहे।

एमएसपी नहीं, किसानों को चाहिए फसलों का लाभकारी मूल्य: त्यागी

देवबंद: भारतीय किसान संघ के प्रदेश संयोजक श्यामवीर त्यागी ने कहा कि किसानों को एमएसपी नहीं अपनी फसलों का लाभकारी मूल्य चाहिए।

श्यामवीर त्यागी ने जारी ब्यान में कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोन कर रहे किसानों की सबसे बड़ी मांग मान ली है और तीनों तीनों कृषि कानून को वापस ले लिया है। अब अंदोलन कर रहे किसानों को समझौते के रास्ते पर आ जाना चाहिए। कहा कि सरकार द्वारा कृषि कानून वापस ले लेने के बाद अब किसान नेता घर लौटने के बजाए यह कह रहे हैं कि पीएम ने उनसे बात क्यों नहीं की। कहा कि ऐसा लग रहा है कि किसान नेताओं की बड़ी मांग कानून वापस लेना नहीं बल्कि प्रधानमंत्री का उनसे बात करना थी। त्यागी ने कहा कि किसानों को एमएसपी नहीं बल्कि फसलों का लाभकारी मूल्य चाहिए। देश में 1947 में 86 प्रतिशत बड़े किसान थे लेकिन आज 86 प्रतिशत छोटे किसान हैं। इसलिए अब किसानों की भी अन्य वर्गों की तरह 25 हजार रुपये प्रतिमाह आय होनी चाहिए जो सरकारी आंकड़ों में मात्र छह हजार रुपये प्रतिमाह है।

chat bot
आपका साथी