बैंक कर्मियों की हड़ताल, नारेबाजी और प्रदर्शन
केंद्र सरकार की श्रम विरोधी और जनविरोधी आर्थिक नीतियों के विरोध में बैंक कर्मचारियों ने नारेबाजी कर जोरदार प्रदर्शन किया। सैकड़ों कर्मचारियों ने एकजुट होकर मांगें पूरी होने तक संघर्ष की प्रतिबद्धता दोहराई। चेतावनी दी कि यदि मांगें पूरी नहीं की गई तो वे बड़े आंदोलन को बाध्य होंगे। हड़ताल के चलते जिले भर में 200 से अधिक बैंक शाखाओं में कामकाज ठप रहा।
सहारनपुर, जेएनएन। केंद्र सरकार की श्रम विरोधी और जनविरोधी आर्थिक नीतियों के विरोध में बैंक कर्मचारियों ने नारेबाजी कर जोरदार प्रदर्शन किया। सैकड़ों कर्मचारियों ने एकजुट होकर मांगें पूरी होने तक संघर्ष की प्रतिबद्धता दोहराई। चेतावनी दी कि यदि मांगें पूरी नहीं की गई तो वे बड़े आंदोलन को बाध्य होंगे। हड़ताल के चलते जिले भर में 200 से अधिक बैंक शाखाओं में कामकाज ठप रहा।
गुरुवार को आल इंडिया बैंक इंप्लाइन एसोसिएशन, आल इंडिया बैंक आफीसर्स एसोसिएशन एवं बैंक इंप्लाइज फेडरेशन आफ इंडिया के तत्वावधान में एवं यूनाईटेड फोरम आफ बैंक यूनियन द्वारा समर्थित सैकड़ों कर्मचारी पीएनबी सिविल लाइन पर एकत्र हुए। कर्मचारियों ने मांगों के समर्थन में जोरदार नारेबाजी करते हुए प्रदर्शन किया। यूपी बैंक इम्पलाइज यूनियन के अध्यक्ष राजीव कुमार जैन ने कहा कि देश के जनमानस को दैनिक जीवन यापन के परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। डिफाल्टर बड़े कारपोरेट के ऋण माफ कर उन्हें अनुचित लाभ पहुंचाया जा रहा है, जिससे बैकों द्वारा कमाया गया लाभ समायोजित हो जाता है।
यूनियन के सचिव प्रदीप कुमार गुप्ता ने कहा कि सरकार की आर्थिक नीतियां आम जनता के प्रतिकूल हैं। बैंकों की जमा योजनाओं पर प्रतिदिन ब्याज की दरें लगातार कम की जा रही हैं जिससे वरिष्ठ नागरिकों व छोटी बचत करने वालों को नुकसान उठाना पड़ रहा है। यूनाइटेड फोरम आफ बैंक यूनियन के संयोजक संजय शर्मा ने कहा कि यदि सरकार मांगों को पूरा नहीं करती तो कर्मचारी बड़े आंदोलन को बाध्य होंगे। प्रदर्शनकारियों में राजीव माहेश्वरी, सोनू तिवारी, उपेंद्र शर्मा, आशीष कुमार, अशोक कुमार, अजय कर्णवाल, शांति स्वरूप अरोड़ा, अतुल सिघल, वीर कुमार जैन,संजीव शर्मा, तरुण अग्रवाल, ओपी शिवा, राहुल कपिल, कविता सैनी, रीना गुप्ता, नवनीत कुमार, यशपाल सिंह, अमोल कुमार, हरिनिवास, सौरभ, दीपक कुमार सहित अनेक कर्मचारी थे।
बैंक कर्मियों की मांगें
बैंकों के निजीकरण की कार्यवाही रोकी जाए।
सार्वजनिक क्षेत्र के बैकों को सुदृढ़ किया जाए।
ऋण चूककर्ताओं के खिलाफ कड़ी कार्रवाई
जमाराशियों पर ब्याज की दर बढ़ाई जाए
बैकिग कार्यों की आउटसोर्सिंग रोकी जाए
बैंकों में पर्याप्त संख्या में नई भर्तियां की जाए
बैंक कर्मियों के लिए नई पेंशन योजना समाप्त हो
सहकारी और क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को सशक्त करें