भर्ती करने के बाद तड़पता रहा बेटा, हाथों में थमाया मां का शव

कोरोना के कारण न जाने जिले के कितने परिवार उजड़ गए। कोरोना अंतिम समय में अपनों को अंतिम बार स्वजन का चेहरा भी नहीं देखने दे रहा है। गोपाल नगर के इस युवक की कहानी सुनेंगे तो आंखों में आंसू आ जाएंगे। इस युवक ने अपनी कोरोना पाजिटिव मां को मेडिकल कालेज पिलखनी में भर्ती किया। भर्ती करने के बाद बेटा मां से मिलने के लिए तड़पता रहा लेकिन मेडिकल कालेज वालों ने सुरक्षा कारणों की वजह से मिलने नहीं दिया। अंत में बेटे के हाथों में सीधे जब मां की लाश थमाई तो बेटा बेहोश हो गया। बरहाल किसी तरह बेटे ने मां का अंतिम संस्कार किया।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 07 May 2021 06:35 PM (IST) Updated:Fri, 07 May 2021 06:35 PM (IST)
भर्ती करने के बाद तड़पता रहा बेटा, हाथों में थमाया मां का शव
भर्ती करने के बाद तड़पता रहा बेटा, हाथों में थमाया मां का शव

सहारनपुर, जेएनएन। कोरोना के कारण न जाने जिले के कितने परिवार उजड़ गए। कोरोना अंतिम समय में अपनों को अंतिम बार स्वजन का चेहरा भी नहीं देखने दे रहा है। गोपाल नगर के इस युवक की कहानी सुनेंगे तो आंखों में आंसू आ जाएंगे। इस युवक ने अपनी कोरोना पाजिटिव मां को मेडिकल कालेज पिलखनी में भर्ती किया। भर्ती करने के बाद बेटा मां से मिलने के लिए तड़पता रहा, लेकिन मेडिकल कालेज वालों ने सुरक्षा कारणों की वजह से मिलने नहीं दिया। अंत में बेटे के हाथों में सीधे जब मां की लाश थमाई तो बेटा बेहोश हो गया। बरहाल, किसी तरह बेटे ने मां का अंतिम संस्कार किया।

दरअसल, गोपालनगर निवासी अरुण बतरा ने बताया कि उसकी मां को कई दिन पहले हल्का बुखार, खांसी, जुकाम हुआ। मां की उम्र 54 साल के करीब थी। जिसके बाद डाक्टर को दिखाने का प्रयास किया, लेकिन डाक्टरों ने देखा तक नहीं। कहा कि पहले वह कोरोना जांच कराए। उसके बाद ही उपचार करेंगे। जांच कराई तो मां कोरोना पाजिटिव निकली। जिसके बाद मेडिकल कालेज पिलखनी में भर्ती कराया गया। गत मंगलवार को यहां पर महिला को भर्ती किया गया। बेटे अरुण बतरा का कहना है कि मंगलवार को मां को भर्ती करने के बाद उन्हे मां से नहीं मिलने दिया गया। क्या उपचार चल रहा है। कैसा उपचार चल रहा है। वह उपचार के बारे में जानने के लिए हर बार फोन करते तो बताया जाता कि दो घंटे के बाद फोन करना, लेकिन कभी भी जानकारी नहीं दी गई।। गुरुवार की रात अचानक अरुण बतरा के पास फोन आता है कि उनकी मां का निधन हो गया है। कुछ देर के बाद मेडिकल कालेज के बाहर उन्हें शव दे दिया गया। अरुण यह गम नहीं सह सका और बेहोश हो गया, क्योंकि अरुण के पिता की 15 साल पहले हार्टअटैक से मौत हो गई थी। अब वह अकेला रह गया था। पूरे परिवार की जिम्मेदारी अब अरुण पर आ गई है। अरुण कहता है कि मां उसे रास्ता दिखाती थी। वह उस रास्ते पर चलता था। अब छोटे भाई और परिवार के अन्य सदस्यों की जिम्मेदारी भी उसी पर है।

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