बारिश से पानी-पानी हुआ किसान

एक सप्ताह में दो बार हुई बेमौसम बारिश ने किसानों को पानी पानी कर दिया है। साथ ही ओलावृष्टि से धान की फसल को भारी नुकसान पहुंचा है।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 25 Oct 2021 10:05 PM (IST) Updated:Mon, 25 Oct 2021 10:05 PM (IST)
बारिश से पानी-पानी हुआ किसान
बारिश से पानी-पानी हुआ किसान

सहारनपुर, जेएनएन। एक सप्ताह में दो बार हुई बेमौसम बारिश ने किसानों को पानी पानी कर दिया है। साथ ही ओलावृष्टि से धान की फसल को भारी नुकसान पहुंचा है। आलू के साथ ही गेहूं की बुआई भी पिछड़ गई है। चीनी मिलों के पेराई सत्र में भी विलंब हो रहा है। सब्जियों को भी नुकसान पहुंचा है, जिससे सब्जियों के दाम भी बढ़ रहे है। जनपद में इस बार करीब 60 हजार हेक्टेयर भूमि पर धान की बुवाई की गई थी।

एक सप्ताह में लगातार दो बार हुई बारिश बेहट क्षेत्र में ओलावृष्टि से जिलें में धान की 20 से 25 प्रतिशत तक फसल खराब हो गई है। किसान को हुए नुकसान को देख सपा व भाकियू समेत कई संगठनों ने कुदरत के कहर से नष्ट हुई फसल के मुआवजे की मांग शुरू कर दी है। जिला प्रशासन द्वारा फसलों के नुकसान का सर्वे कराया जा रहा है।

जनपद में इन फसलों पड़ा असर

जनपद में सबसे ज्यादा गन्ना धान व गेहूं की ही खेती की जाती है, मगर इस बार बारिश् से तीन फसलें ही प्रभावित होंगी। लगातार हुई बारिश ने धान को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाया है। जनपद में अभी करीब 30-40 प्रतिशत ही धान कटा है, इसमें भी कुछ कटने के बाद खेत में ही पड़ा है, जो पानी भर जाने से खराब हो गया है। जो खेत में खड़ा है उसका भी तेज हवा व ओला पड़ने से दाना खराब हो जाता है। जिस आलू की बुवाई हो चुकी उसके भी खराब होने की संभावना बढ़ रही है। गन्ना समय से न कट पाने के कारण गेहूं की बुवाई भी प्रभावित होगी। असौजी गन्ने की बुवाई भी नवंबर माह तक टल गई है जबकि यह अक्टूबर में ही होती है।

इसी तरह सब्जियों की बुवाई भी प्रभावित हो रही है जिसने चना मटर आदि लगाया है उसके भी खराब होने की संभावना बढ़ गई है।

सभी फसलें हुई बारिश से प्रभावित

कृषि विज्ञान केंद्र के प्रभारी अधिकारी डा. आईके कुशवाहा का कहना है कि बारिश के कारण बागों को छोड़कर लगभग सभी फसलों पर असर पड़ा है। बेहट और चिलकाना क्षेत्र में धान की फसल को सर्वाधिक नुकसान हुआ है। बारिश के कारण गन्ने की शुगर रिकवरी कम आने के कारण चीनी मिलों को पेराई सत्र भी पीछे हट जाएगा। इससे गेहूं की बुवाई प्रभावित हो जाएगी। खेत खाली न होने के कारण असौजी गन्ने की बुवाई भी विलंब से ही हो पाएगी। अधिकांश स्थानों पर आलू की बुवाई हो चुकी है नमी आ जाने के कारण वह भी सड़ जाएगा।

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किसान मोहम्मद अहसान का कहना है कि लगातार बारिश के चलते जिन खेतों से धान की फसल कट गयी थी उन मे भी वाटर लेबल ऊपर आ जाने के कारण कीचड़ व पानी भरने से गेंहू की बुआई भी खटाई में पड़ने के आसार बन गये है। कुदरती कहर पड़ने से परेशान किसानों पर दोहरी मार झेलने को मजबूर है जिसे लेकर खादर क्षेत्र के दुमझेड़ा, पाजबांगर, फिरोजाबाद, गुमटी, मलकपुर एवं डंडोली खेड़ा आदि गांवों के अधिकतर किसानो की नींद उड़ी हुई है।

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चिलकाना क्षेत्र के किसान सुधीर कुमार जैन के अनुसार बारिश के कारण धान की पकी फसल गिरने से अंकुरित होने लगी है खेतों मे पानी भरने के कारण धान की गिरी हुई फसल की कटाई भी रुक गयी है, क्योंकि एक तरफ तो धान काटने के लिए मजदूर नहीं मिल रहे ऊपर से खेतों में कीचड़ पानी होने के कारण कंबाइन मशीन भी नहीं चल रही जिसे लेकर किसान दुविधा में है।

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