तुरल की कमियों को दूर करेगी पूसा बासमती प्रजाति-1737

भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान नई दिल्ली राज्य कृषि विश्वविद्यालयों एवं आइसीएआर संस्थानों के सहयोग से राष्ट्रीय प्रसार कार्यक्रम के अंतर्गत ई-कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला की अध्यक्षता भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के निदेशक डा. अशोक कुमार सिंह ने की।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 24 Apr 2021 10:59 PM (IST) Updated:Sat, 24 Apr 2021 10:59 PM (IST)
तुरल की कमियों को दूर करेगी पूसा बासमती प्रजाति-1737
तुरल की कमियों को दूर करेगी पूसा बासमती प्रजाति-1737

जेएनएन, सहारनपुर। भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान नई दिल्ली, राज्य कृषि विश्वविद्यालयों एवं आइसीएआर संस्थानों के सहयोग से राष्ट्रीय प्रसार कार्यक्रम के अंतर्गत ई-कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला की अध्यक्षता भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के निदेशक डा. अशोक कुमार सिंह ने की।

वर्चुअल कार्यशाला में विगत वर्ष की प्रगति रिपोर्ट एवं आगामी कार्य योजना पर विचार किया गया। कृषि विज्ञान केंद्र सहारनपुर के प्रभारी अधिकारी आईके कुशवाहा ने भी कार्यशाला में एनईपी प्रदर्शनों की प्रगति रिपोर्ट एवं आगामी कार्ययोजना पावरप्वाइंट स्लाइड के माध्यम से प्रस्तुत की। डा. कुशवाहा ने बासमती धान की गर्दन तोड़ नेक ब्लास्ट रोग प्रतिरोधी प्रजाति पूसा बासमती 1637 की मांग की गई। यह प्रजाति पूसा बासमती- एक तुरल की कमियों को दूर करने के लिए संशोधित प्रजाति है। उन्होंने बासमती धान की अधिक उत्पादन देने वाली नई प्रजाति पूसा बासमती 1692 की मांग की है यह प्रजाति 115 दिन में तैयार होने वाली छोटी प्रजाति है और इसमें बैक्टीरियल ब्लाइट रोग भी नहीं आता है और इसका चावल भी सीधा होता है डा. कुशवाहा ने बैगन की कलर राट रोग अवरोधी प्रजाति, मक्का, गेहूं, धान की बायोफोर्टीफाइड प्रजाति, आम की नवीनतम प्रजाति के पौधों के प्रदर्शन पार्क के लिए भी मांग की।

आइएआरआइ नई दिल्ली के निदेशक डा. एके सिंह ने उपलब्धता के अनुसार नई प्रजातियों के बीजों और पौधों को देने का आश्वासन दिया। उन्होंने बताया कि यदि प्रदर्शन के लिए उपलब्ध नहीं होता है तो कृषि विज्ञान केंद्र के माध्यम से मांग देकर भुगतान पर प्राप्त कर सकते हैं उन्होंने यह भी आश्वासन दिया है कि आईएआरआई किसानों के लिए पूरी तरीके से समर्पित है।

इस कार्यशाला में डा. बीएस तोमर संयुक्त निदेशक, जेएस बास वरिष्ठ वैज्ञानिक, डा. सी प्रसाद, डा. प्रतिभा, डा. नफीस, डा. राजवीर यादव, डा. एसके सिंह सहित पूरे देश के वैज्ञानिकों ने भाग लिया।

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