वीडियो शूट आउट में शिक्षकों की जेबें ढीली
शैक्षिक वीडियो शूट आउट कराने के लिए शिक्षकों की जेब ढीली हो रही हैं। वीडियो शूट कराने के लिए प्रति शिक्षक 600 रुपये शुल्क अदा करने को मजबूर है। कई शिक्षकों ने आपत्ति जताते हुए शुल्क को अनुचित बताया। प्रगतिशील शिक्षक एसोसिएशन का कहना है कि वीडियो निश्शुल्क शूट करानी चाहिए।
सहारनपुर, जेएनएन। शैक्षिक वीडियो शूट आउट कराने के लिए शिक्षकों की जेब ढीली हो रही हैं। वीडियो शूट कराने के लिए प्रति शिक्षक 600 रुपये शुल्क अदा करने को मजबूर है। कई शिक्षकों ने आपत्ति जताते हुए शुल्क को अनुचित बताया। प्रगतिशील शिक्षक एसोसिएशन का कहना है कि वीडियो निश्शुल्क शूट करानी चाहिए।
कोरोना संकट के दौरान माध्यमिक शिक्षा विभाग ने 20 अप्रैल से आनलाइन कक्षाओं का संचालन शुरू किया। दसवीं और बारहवीं कक्षा के लिए दूरदर्शन उत्तर प्रदेश पर, नवीं और ग्याहरवीं कक्षा के लिए चैनल ई विद्या-9 और 11 पर शैक्षणिक वीडियो के माध्यम से ई-लर्निग का प्रसारण किया गया। पाठ्य योजना की शिक्षक द्वारा बनवाई गई वीडियो का कक्षाओं के रूप में प्रसारण हुआ। जिला विद्यालय निरीक्षक के माध्यम से जिला स्तर पर भी विषयवार शिक्षकों की वीडियो शूट आउट कराई गई। शिक्षकों को प्रेरित किया गया कि वे निर्धारित कार्ययोजना के अनुसार वीडियो शूट कर विभाग को उपलब्ध कराएं जबकि समानांतर व्यवस्था के रूप में राजकीय स्कूल में भी कुछ शिक्षकों ने वीडियो शूट कराई। वीडियों शूट कराने के एवज में कैमरामैन द्वारा एक शिक्षक से 600 रुपये शुल्क लिया गया। कई शिक्षकों ने इस पर आपत्ति जताई। कहा कि यह शुल्क विभाग अथवा कालेज को वहन करना चाहिए। शिक्षकों से शुल्क लिया जाना अनुचित है। प्रगतिशील शिक्षक एसोसिएशन के प्रदेश उपाध्यक्ष रजनीश चौहान कहना है कि शिक्षकों से यह जानकारी उन्हें भी मिली है। वीडियो शूट कराने के लिए शुल्क लिया जाना गलत है। संगठन इसका विरोध करता है। इन्होंने कहा-
शिक्षकों को वीडियो शूट कराकर विभाग को उपलब्ध कराने के निर्देश दिए गए थे। वीडियो शूट के लिए विभाग के पास कोई बजट उपलब्ध नहीं है। पूरे प्रदेश में शुल्क वहन का दायित्व शिक्षकों पर ही है।
डा.अरूण कुमार दुबे, जिला विद्यालय निरीक्षक