कोरोना के कहर में रिश्ते पड़े छोटे, इंसानियत बन गई बड़ी

इस्लामनगर में कोरोना महामारी के चलते रिश्ते नाते कमजोर पड़ रहे हैं। संक्रमित होने के डर से अब अपने ही अंतिम संस्कार से मुहं फेर रहे हैं। इस्लामनगर क्षेत्र में सत्यपाल के निधन के बाद उसके दोनों बेटे अकेले पड़ गए।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 05 May 2021 06:47 PM (IST) Updated:Wed, 05 May 2021 06:47 PM (IST)
कोरोना के कहर में रिश्ते पड़े छोटे, इंसानियत बन गई बड़ी
कोरोना के कहर में रिश्ते पड़े छोटे, इंसानियत बन गई बड़ी

सहारनपुर, जेएनएन। इस्लामनगर में कोरोना महामारी के चलते रिश्ते नाते कमजोर पड़ रहे हैं। संक्रमित होने के डर से अब अपने ही अंतिम संस्कार से मुहं फेर रहे हैं। इस्लामनगर क्षेत्र में सत्यपाल के निधन के बाद उसके दोनों बेटे अकेले पड़ गए। त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में पन्द्रह दिन पूर्व तक सभी को साथ लेकर चलने और सुखदुख में साथ देने का वादा करने वाले माननीय भी अब साथ नहीं खड़े। ऐसे में साथ आए मोहल्ले के ही मुस्लिम समाज के कुछ युवा, जिन्होंने मृतक के बच्चों के साथ खड़े होकर सत्यपाल के शव का अंतिम संस्कार किया।

थाना रामपुर के गांव इस्लामनगर में सत्यपाल रुहेला दर्जी की दुकान चलाते थे। तीन दिन पूर्व सत्यपाल की तबीयत बिगड़ी तो उसे जिला चिकित्सालय ले जाया गया, जहां से उसे देहरादून महन्त इंद्रेश हास्पिटल ले जाया गया, जहां उनकी मौत हो गई। मृत्यु के पश्चात उसे एम्बुलेंस में गांव में लाया गया। सत्यपाल की मौत के बाद अपने सगे संबंधी भी पास नहीं आए। वे दूर खड़े हो गए। सभी के दिलों में कोरोना की दहशत थी। ऐसे में मोहल्ले के ही कुछ मुस्लिम युवक सामने आए और मृतक के दोनो पुत्रों से कहा कि घबराओ नहीं। हम सब तुम्हारे साथ हैं। इन युवकों ने मृतक के पुत्रों के साथ मिलकर अर्थी तैयार कराई, जिसके बाद शव के अंतिम संस्कार तक इंसानियत निभाई।

मोहल्ला निवासी शमशाद, साजिद, नुसरत वाजिद और इमरान ने अपने बाकी साथियों के साथ इस नेक काम को अंजाम दिया। गांव और इलाके भर में इस नेक काम के लिए इन युवकों की हिम्मत की प्रशंसा की जा रही है।

chat bot
आपका साथी