प्राचीन बाबा बालगिरी महादेव मंदिर है प्रसिद्ध
देवबंद के लहसवाड़ा मोहल्ला स्थित प्राचीन बाबा बालगिरी महादेव मंदिर श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र है।
सहारनपुर, जेएनएन। देवबंद के लहसवाड़ा मोहल्ला स्थित प्राचीन बाबा बालगिरी महादेव मंदिर श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र है। यहां आने वाले श्रद्धालुओं की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है और जो श्रद्धालु लगातार एक माह तक मंदिर में सेवा करता है उसे मनचाहा फल प्राप्त होता है, ऐसा लोगों में अटूट विश्वास है। श्रावण मास में जलाभिषेक कर श्रद्धालु मनोकामना पूर्ति के लिए मंदिर में प्रसाद चढ़ाते हैं।
इतिहास
प्राचीन बाबा बालगिरी महादेव मंदिर का निर्माण कब और कैसे हुआ यह कोई नहीं जानता है। किवंदती है कि यहां अचानक शिव लिग प्रकट हुआ था। मंदिर प्राचीन होने का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि देवबंद तहसील के रिकार्ड में यह मंदिर 552 साल पुराना लबे गंगा तट शिव मंदिर के नाम से दर्ज है। यह मंदिर संतों की तपो स्थली रहा। मुगलकालीन समय में मंदिर की सेवा करने वाले बाबा बालगिरी महाराज आज भी मंदिर परिसर में समाधि रूप में विराजमान है। श्रावण मास में मंदिर में श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है।
मंदिर की विशेषता :
बाबा बालगिरी महादेव मंदिर को सजाया जाता है। सावन माह में जल चढ़ाने वाले शिवभक्त कावडि़यों के लिए यहां खास व्यवस्था मंदिर की देखरेख करने वाले लोगों द्वारा की जाती है। श्रावण मास में हरिद्वार से लाए जाने वाले गंगा जल से महादेव का जलाभिषेक करने को यहां भारी भीड़ उमड़ती है। लेकिन इस बार कोरोना के चलते कावड़ यात्रा रद्द हो जाने के बाद इस बार क्षेत्र व आसपास के श्रद्धालुओं का मंदिर में जमावड़ा बना हुआ है।
बाबा बालगिरी महादेव मंदिर में आने वाले श्रद्धालुओं की कामनाएं पूर्ण होती है। वैसे तो वर्ष भर श्रद्धालु यहां आते है लेकिन सावन माह में बड़ी संख्या में मंदिर में शिव भक्त पहुंचकर जलाभिषेक करते हैं।
सुमित कुमार, सेवादार
प्राचीन बाबा बालगिरी महादेव मंदिर में आने वाले हर भक्त की इच्छा पूरी होती है। शिव भक्त यहां आकर जलाभिषेक करते हैं। सावन मास में मंदिर में शिव भक्तों की सेवा में समय गुजारना अच्छा लगता है।
बलवीर सैनी, श्रद्धालु