नर्सें कर रहीं कोरोना मरीजों की सेवा, दुधमुंहे बच्चों को भी संभाल रहा परिवार
छुटमलपुर में डाक्टर को जहां एक ओर भगवान का दूसरा रुप कहा जाता है वहीं कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर में नर्से भी डाक्टर से कमतर साबित नहीं हो रही हैं।
सहारनपुर, जेएनएन। छुटमलपुर में डाक्टर को जहां एक ओर भगवान का दूसरा रुप कहा जाता है वहीं कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर में नर्से भी डाक्टर से कमतर साबित नहीं हो रही हैं। इनमें से बहुत सी नर्स ऐसी हैं, जिनके छोटे बच्चें और बीमार सास ससुर घर में हैं। इन सब की परवाह किए बिना ये कोरोना योद्धा नर्सें देश में छाए संक्रमण के खात्मे के लिए कोविड वार्ड में लगातार डयूटी देकर अपने फर्ज को अंजाम दे रही है।
छुटमलपुर में पिछले साल मार्च माह में कोरोना संक्रमण की पहली लहर के दौरान बनाए गए कोविड फतेहपुर अस्पताल को इस साल भी एल टू का दर्जा देकर संचालित किया गया है। कोरोना संक्रमित रोगियों के उपचार के लिए यहां तैनात 25 सदस्सीय चिकित्सीय टीम में शामिल स्टाफ नर्स रोनिका सिंह अपनी दो और दस साल की दो बेटियों को पति के हवाले कर पिछले सवा साल से कोरोना रोगियों की सेवा कर रही है। पहली बार जब उनकी डयूटी कोविड वार्ड में लगी थी तब उनकी बेटी मात्र एक साल की थी। रोनिका बताती हैं कि उस वक्त तो वह उनके बिना बहुत रोती थी लेकिन अब उसे आदत हो गई है। छोटी बेटी जब कभी पति को तंग करती है तो वे वीडियो काल पर उनकी बात करा कर उसे समझा देते हैं। उनकी साथी स्टाफ नर्स सुनीता जैकब भी गत वर्ष से ही यहां कोविड वार्ड में डयूटी कर रही हैं। वे कहती हैं कि इस अवधि के सारे त्योहार और रिश्तेदारों की शादी तक में वे घर नहीं जा सकी हैं।
रुड़की की रहने वाली स्टाफ नर्स प्रियंका नेल्सन के घर में चार और दस साल की दो बेटियों के साथ ही बीमार सास भी हैं, जिनकी जिम्मेदारी उनके पति उठाते हैं। वे बताती हैं कि कई बार पति को भी बुखार आदि कुछ बीमारी होने पर घर की सारी व्यवस्था पटरी से उतर जाती है। उन लोगों को खाना तक बाहर से मंगा कर खाना पड़ता है। प्रियंका कहना है कि उन्हे इस बात का संतोष है कि नर्स बनते वक्त जो शपथ ली थी उसे वह ईमानदारी से पूरा कर पा रही हैं। इसके लिए उन्हें उनके परिवार का पूरा सपोर्ट भी मिलता है।