महिलाओं को सिलाई सिखा आत्मानिर्भर बना रहीं ममता

गरीबी एवं मुफलिसी की मार को दरकिनार पर ममता स्वावलंबन की नई इबारत लिख रही हैं। इस तरह वह अन्य महिलाओं को सिलाई सिखाकर आत्मनिर्भर भारत के स्वप्न को साकार कर रही हैं।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 18 Oct 2021 09:49 PM (IST) Updated:Mon, 18 Oct 2021 09:49 PM (IST)
महिलाओं को सिलाई सिखा आत्मानिर्भर बना रहीं ममता
महिलाओं को सिलाई सिखा आत्मानिर्भर बना रहीं ममता

सहारनपुर, जेएनएन। गरीबी एवं मुफलिसी की मार को दरकिनार पर ममता स्वावलंबन की नई इबारत लिख रही हैं। ममता गांव देहात क्षेत्र की अन्य महिलाओं तथा युवतियों को सिलाई का कार्य सिखाकर आत्मनिर्भर भारत मिशन को नई धार देने का भी कार्य कर रही हैं।

बडगांव निवासी ममता ने गरीबी के सामने घुटने टेकने से बेहतर विकल्प चुनते हुए स्वयं को स्वावलंबी बनाया तथा क्षेत्र में स्वावलंबन की एक नई इबारत लिखने का कार्य शुरू कर दिया। ममता एक मजदूर परिवार से संबंधित होने के बावजूद अपने तथा क्षेत्र की अन्य महिलाओं व युवतियों के सपनों को साकार करने का मद्दा रखती हैं। ममता ने बताया कि उनका पति ईंट भट्टे पर मजदूरी करता है। पति की मजदूरी से घर का खर्च नहीं चल पाता है। बच्चों की पढ़ाई भी प्रभावित हो रही है। क्षेत्र में कोई रोजगार ना होने के कारण ममता ने स्वावलंबन का संकल्प लिया तथा घर पर ही सिलाई केन्द्र खोल लिया। पहले महिलाओं व युवतियों ने खास रुचि नहीं दिखाई। तब उन्होंने प्रशिक्षण शुल्क कम किया, फिर उनके पास क्षेत्र की तकरीबन 50 युवतियों तथा महिलाओं ने आना शुरू कर दिया। ऐसे ही कारवां बनता गया और वह अब सभी प्रशिक्षुओं को न्यूनतम खर्च पर आत्मनिर्भर बनने का मंत्र बांट रही हैं। इसी के साथ साथ ममता समूह बनाकर महिलाओं को बचत करने का भी मंत्र दे रही हैं।

सिलाई केंद्र से साकार हो

रहा ममता का सपना

घर के खर्च के साथ ही ममता उसके तीन बच्चो की पढाई का खर्च भी सिलाई केंद्र से ही चला रही हैं। ममता के पति सोनू ने कहा कि उन्हें अपनी पत्नी पर गर्व है कि उन्हे स्वावलंबन के ओज तथा आत्मनिर्भरता से परिपूर्ण जीवनसाथी मिली।

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