जरा याद करो कुरबानी : भूल गया सरकारी तंत्र कारगिल वीरगति को प्राप्त जवानों को

गंगोह में भारत मां की रक्षा करते हुए दुश्मनों के दांत खट्टे कर वीर गति को प्राप्त हुए सेनानी के स्वजनों का दर्द हे कि 21 साल में एक बार भी कोई अधिकारी न तो समाधि पर दो फूल चढ़ाने आया और न ही उनका हाल जानने की कोशिश की।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 25 Jul 2021 09:56 PM (IST) Updated:Sun, 25 Jul 2021 09:56 PM (IST)
जरा याद करो कुरबानी : भूल गया सरकारी तंत्र कारगिल वीरगति को प्राप्त जवानों को
जरा याद करो कुरबानी : भूल गया सरकारी तंत्र कारगिल वीरगति को प्राप्त जवानों को

सहारनपुर, जेएनएन। गंगोह में भारत मां की रक्षा करते हुए दुश्मनों के दांत खट्टे कर वीर गति को प्राप्त हुए सेनानी के स्वजनों का दर्द हे कि 21 साल में एक बार भी कोई अधिकारी न तो समाधि पर दो फूल चढ़ाने आया और न ही उनका हाल जानने की कोशिश की।

नौवीं इंफेंटरी में लांस नायक राजेश बैरागी 1999 में हुए कारगिल युद्ध के दौरान देश पर कुर्बान हो गया था। राजेश ने मरने से पहले दुश्मनों के दांत खट्टे कर दर्जनों लोगों का सफाया कर दिया था। सात जुलाई 1999 को राजेश बैरागी का शव उसके पैतृक गांव गंगोह से सात किमी दूर गांव जेहरा में लाया गया था। मौके पर आये अधिकारियों ने उस समय राजेश के परिजनों के लिए सुविधाओं की झड़ी लगा देने का वादा हजारों की भीड़ के बीच किया था तथा राजेश की याद को चिर स्थाई रखने के लिए उनकी समाधि बनवाने तथा परिवार के एक व्यक्ति को सरकारी नौकरी देने का आश्वासन दिया था।

राजेश के वयोवृद्ध पिता ताराचंद बैरागी व मां कांती देवी को आज भी इस बात का गर्व है कि उनके बेटे ने भारत मां की लाज रखी तथा मातृ भूमि की रक्षा के लिए वीर गति को प्राप्त हो गया। ग्रामीणों का कहना है कि राजेश की चिता के पास खड़े हो कर अनेक सुविधाओं व कार्यो का आश्वासन देने वाले अधिकारियों का उसके बाद कुछ पता नहीं। राजेश की याद के लिए उनकी समाधि व स्मारक बनाने का वादा भी सरकारी तंत्र यहां से जाकर भूल गया। स्वजनों ने इसे खुद ही बनवाया। गंगोह में राजेश की मूर्ति स्थापना की घोषणा भी घोषणा ही बनकर रहे गई है। परिवार के एक व्यक्ति को सरकारी नौकरी देने का भी आश्वासन दिया गया था, जो 21 साल बाद भी पूरा नहीं हो सका है। परिजनों को इस बात का दर्द भी सालता है कि राजेश की पुण्य तिथि हो या कारगिल विजय दिवस कोई न तो समाधि पर दो फूल चढ़ाने आता है और नही उनकी सुध लेने। पिछले 21 सालों में कोई भी समाधि तक नहीं आया।

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